It's my Life. If you search J.P.SONI you will find many J.P.SONIs, but if you search me you will find only me...
Thursday, 31 December 2020
SMALL THOUGHTS
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
Sunday, 20 December 2020
SMALL THOUGHTS
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
दयालू गोपी
दयालू गोपी
वृंदावन की एक गोपी रोज दूध दही बेचने मथुरा जाती थी।
एक दिन व्रज में एक संत आये, गोपी भी कथा सुनने गई,
संत कथा में कह रहे थे, भगवान के नाम की बड़ी महिमा है, नाम से बड़े बड़े संकट भी टल जाते है.।
नाम तो भव सागर से तारने वाला है,
यदि भव सागर से पार होना है तो भगवान का नाम कभी मत छोडना.।
कथा समाप्त हुई गोपी अगले दिन फिर दूध दही बेचने चली,
बीच में यमुना जी थी,गोपी को संत की बात याद आई, संत ने कहा था भगवान का नाम तो भवसागर से पार लगाने वाला है।
जिस भगवान का नाम भवसागर से पार लगा सकता है तो क्या उन्ही भगवान का नाम मुझे इस साधारण सी नदी से पार नहीं लगा सकता ?
ऐसा सोचकर गोपी ने मन में भगवान के नाम का आश्रय लिया भोली भाली गोपी यमुना जी की ओर आगे बढ़ गई.।
अब जैसे ही यमुना जी में पैर रखा तो लगा मानो जमीन पर चल रही है और ऐसे ही सारी नदी पार कर गई,
पार पहुँचकर बड़ी प्रसन्न हुई, और मन में सोचने लगी कि संत ने तो ये तो बड़ा अच्छा तरीका बताया पार जाने का।
रोज-रोज नाविक को भी पैसे नहीं देने पड़ेगे।
एक दिन गोपी ने सोचा कि संत ने मेरा इतना भला किया मुझे उन्हें खाने पर बुलाना चाहिये।
अगले दिन गोपी जब दही बेचने गई, तब संत से घर में भोजन करने को कहा संत तैयार हो गए,
अब बीच में फिर यमुना नदी आई।
संत नाविक को बुलने लगा तो गोपी बोली बाबा नाविक को क्यों बुला रहे है. हम ऐसे ही यमुना जी में चलेगे.
।
संत बोले - गोपी ! कैसी बात करती हो, यमुना जी को ऐसे ही कैसे पार करेगे ?
गोपी बोली - बाबा ! आप ने ही तो रास्ता बताया था, आपने कथा में कहा था कि भगवान के नाम का आश्रय लेकर भवसागर से पार हो सकते है
तो मैंने सोचा जब भव सागर से पार हो सकते है तो यमुना जी से पार क्यों नहीं हो सकते ?
और मै ऐसा ही करने लगी, इसलिए मुझे अब नाव की जरुरत नहीं पड़ती।
संत को विश्वास नहीं हुआ बोले - गोपी तू ही पहले चल ! मै तुम्हारे पीछे पीछे आता हूँ,
गोपी ने भगवान के नाम का आश्रय लिया और जिस प्रकार रोज जाती थी वैसे ही यमुना जी को पार कर गई।
अब जैसे ही संत ने यमुना जी में पैर रखा तो झपाक से पानी में गिर गए, संत को बड़ा आश्चर्य, अब गोपी ने जब देखा तो कि संत तो पानी में गिर गए है तब गोपी वापस आई है और संत का हाथ पकड़कर जब चली तो संत भी गोपी की भांति ही ऐसे चले जैसे जमीन पर चल रहे हो।
संत तो गोपी के चरणों में गिर पड़े, और बोले - कि गोपी तू धन्य है !
वास्तव में तो सही अर्थो में नाम का आश्रय तो तुमने लिया है और मै जिसने नाम की महिमा बताई तो सही पर स्वयं नाम का आश्रय नहीं लिया..।
सच मे भक्त मित्रो हम भगवान नाम का जप एंव आश्रय तो लेते है पर भगवान नाम मे पूर्ण विश्वाव एंव श्रद्धा नही होने से हम इसका पूर्ण लाभ प्राप्त नही कर पाते..
शास्त्र बताते है कि भगवान श्री कृष्ण का एक नाम इतने पापो को मिटा सकता है जितना कि एक पापी व्यक्ति कभी कर भी नही सकता..
अतएव भगवान नाम पे पूर्ण श्रद्धा एंव विश्वास रखकर ह्रदय के अंतकरण से भाव विह्वल होकर जैसे एक छोटा बालक अपनी माँ के लिए बिलखता है ..उसी भाव से सदैव नाम प्रभु का सुमिरन एंव जप करे
कलियुग केवल नाम अधारा !
सुमिर सुमिर नर उताराहि ही पारा!!
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
SMALL THOUGHTS
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
SMALL THOUGHTS
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
Sunday, 13 December 2020
SMALL THOUGHTS
कभी कभी हम गलत नहीं होते....
लेकिन....
हमारे पास वो समय और शब्द ही नहीं होते.....
जो हमें सही साबित कर सके!!!
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
SMALL THOUGHTS
क्रोध आने पर चिल्लाने के लिए ताक़त नहीं चाहिए......
मगर क्रोध आने पर चुप रहने के लिए बहुत ताक़त चाहिए !!!
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
Tuesday, 8 December 2020
SMALL THOUGHTS
किसी व्यक्ति का व्यवहार देखना हो तो उसे सम्मान दो ........
आदत देखनी है तो उसे स्वतंत्र कर दो.......
नीयत देखनी है तो उसे क़र्ज़ दो......
और अगर उसके गुण देखने हैं तो उसके साथ कुछ समय बिताओ!!!!
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
SMALL THOUGHTS
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
SMALL THOUGHTS
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
सच्चा दोस्त
❤️सच्चा दोस्त❤️
राम नाम के एक लड़के को पैसों की सख्त ज़रुरत थी . उसने अपने मालिक से मदद मांगी . मालिक पैसे देने को तैयार हो गया पर उसने एक शर्त रखी . शर्त ये थी कि राम को बिना आग जलाये कल की रात पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी पर बितानी थी, अगर वो ऐसा कर लेता तो उसे एक बड़ा इनाम मिलता और अगर नहीं कर पाता तो उसे मुफ्त में काम करना होता .
राम जब दुकान से निकला तो उसे एहसास हुआ कि वाकई कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है और बर्फीली हवाएं इसे और भी मुश्किल बना रही हैं . उसे मन ही मन लगा कि शायद उसने ये शर्त कबूल कर बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी है . घबराहट में वह तुरंत अपने दोस्त शाम के पास पहुंचा और सारी बात बता दी .
शाम ने कुछ देर सोचा और बोला, “ चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूँगा . कल रात, जब तुम पहाड़ी पर होगे तो ठीक सामने देखना मैं तुम्हारे लिए सामने वाली पहाड़ी पर सारी रात आग जल कर बैठूंगा .
तुम आग की तरफ देखना और हमारी दोस्ती के बारे में सोचना ; वो तुम्हे गर्म रखेगी।
और जब तुम रात बिता लोगे तो बाद में मेरे पास आना, मैं बदले में तुमसे कुछ लूंगा .”
राम अगली रात पहाड़ी पर जा पहुंचा, सामने वाली पहाड़ी पर शाम भी आग जला कर बैठा था .
अपने दोस्त की दी हुई हिम्मत से राम ने वो बर्फीली रात किसी तरह से काट ली . मालिक ने शर्त के मुताबिक उसे ढेर सारे पैसे इनाम में दिए .
इनाम मिलते ही वो शाम के पास पहुंचा, और बोला, “ तुमने कहा था कि मेरी मदद के बदले में तुम कुछ लोगे … कितने पैसे चाहिएं तुम्हे ..”
शाम बोला, “ हाँ मैंने कुछ लेने को कहा था, पर वो पैसे नहीं हैं . मैं तो तुमसे एक वादा लेना चाहता हूँ … वादा करो कि अगर कभी मेरी ज़िन्दगी में भी बर्फीली हवाएं चलें तो तुम मेरे लिए दोस्ती की आग जलाओगे .”
राम ने फ़ौरन उसे गले लगा लिया और हमेशा दोस्ती निभाने का वादा किया .
दोस्ती ही वो पहला रिश्ता होता है जो हम खुद बनाते हैं, बाकी रिश्तों के साथ तो हम पैदा होते हैं . सचमुच अगर हम अपने जीवन से “दोस्तों ” को निकाल दें तो ज़िन्दगी कितनी खाली लगे … दोस्त होने का मतलब सिर्फ खुशियां बांटना नहीं होता …दोस्ती का असली मतलब अपने दोस्त का उस समय साथ देना होता है जब वो मुसीबत में हो, जब उसे हमारी सबसे ज्यादा ज़रुरत हो …
क्या आपका कोई सच्चा दोस्त है ? बिलकुल है, वो वही है जिसके आप सच्चे दोस्त हैं . और अगर नहीं है
तो सबसे पहले आपको एक सच्चा दोस्त बनना चाहिए … अपने आप ही आपका एक सच्चा दोस्त बन जाएगा . !
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
SMALL THOUGHTS
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
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Monday, 7 December 2020
आनंदित रहने की कला
आनंदित रहने की कला
एक राजा बहुत दिनों से विचार कर रहा था कि वह राजपाट छोड़कर अध्यात्म (ईश्वर की खोज) में समय लगाए । राजा ने इस बारे में बहुत सोचा और फिर अपने गुरु को अपनी समस्याएँ बताते हुए कहा कि उसे राज्य का कोई योग्य वारिस नहीं मिल पाया है । राजा का बच्चा छोटा है, इसलिए वह राजा बनने के योग्य नहीं है । जब भी उसे कोई पात्र इंसान मिलेगा, जिसमें राज्य सँभालने के सारे गुण हों, तो वह राजपाट छोड़कर शेष जीवन अध्यात्म के लिए समर्पित कर देगा ।
गुरु ने कहा, "राज्य की बागड़ोर मेरे हाथों में क्यों नहीं दे देते ? क्या तुम्हें मुझसे ज्यादा पात्र, ज्यादा सक्षम कोई इंसान मिल सकता है ?"
राजा ने कहा, "मेरे राज्य को आप से अच्छी तरह भला कौन संभल सकता है ? लीजिए, मैं इसी समय राज्य की बागड़ोर आपके हाथों में सौंप देता हूँ ।"
गुरु ने पूछा, "अब तुम क्या करोगे ?"
राजा बोला, "मैं राज्य के खजाने से थोड़े पैसे ले लूँगा, जिससे मेरा बाकी जीवन चल जाए ।"
गुरु ने कहा, "मगर अब खजाना तो मेरा है, मैं तुम्हें एक पैसा भी लेने नहीं दूँगा ।"
राजा बोला, "फिर ठीक है, "मैं कहीं कोई छोटी-मोटी नौकरी कर लूँगा, उससे जो भी मिलेगा गुजारा कर लूँगा ।"
गुरु ने कहा, "अगर तुम्हें काम ही करना है तो मेरे यहाँ एक नौकरी खाली है । क्या तुम मेरे यहाँ नौकरी करना चाहोगे ?"
राजा बोला, "कोई भी नौकरी हो, मैं करने को तैयार हूँ ।"
गुरु ने कहा, "मेरे यहाँ राजा की नौकरी खाली है । मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए यह नौकरी करो और हर महीने राज्य के खजाने से अपनी तनख्वाह लेते रहना ।"
एक वर्ष बाद गुरु ने वापस लौटकर देखा कि राजा बहुत खुश था । अब तो दोनों ही काम हो रहे थे । जिस अध्यात्म के लिए राजपाट छोड़ना चाहता था, वह भी चल रहा था और राज्य सँभालने का काम भी अच्छी तरह चल रहा था । अब उसे कोई चिंता नहीं थी ।
इस कहानी से समझ में आएगा की वास्तव में क्या परिवर्तन हुआ ? कुछ भी तो नहीं! राज्य वही, राजा वही, काम वही; दृष्टिकोण बदल गया ।
इसी तरह हम भी जीवन में अपना दृष्टिकोण बदलें । मालिक बनकर नहीं, बल्कि यह सोचकर सारे कार्य करें की, "मैं ईश्वर कि नौकरी कर रहा हूँ" अब ईश्वर ही जाने । सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दें । फिर ही आप हर समस्या और परिस्थिति में खुशहाल रह पाएँगे।
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
कर्म और भाग्य
कर्म और भाग्य
एक चाट वाला था। जब भी चाट खाने जाओ ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता। कई बार उसे कहा कि भाई देर हो जाती है जल्दी चाट लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नहीं होती।
एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।
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तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैंने सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते हैं। मैंने एक सवाल उछाल दिया।
मेरा सवाल था कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से?
और उसके जवाब से मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।
कहने लगा,आपका किसी बैंक में लॉकर तो होगा?
उसकी चाभियाँ ही इस सवाल का जवाब है। हर लॉकर की दो चाभियाँ होती हैं।
एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास।
आप के पास जो चाभी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य।
जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नहीं खुल सकता।
आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान।
आप को अपनी चाभी भी लगाते रहना चाहिये।पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे। कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये ।
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
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Saturday, 5 December 2020
सुनो सब कुछ.....
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
कोई ओर दिन कभी नही आता
कोई ओर दिन कभी नही आता
एक मित्र नेअपनी बीवी की अलमारी खोली और एक सुनहरे कलर का पेकेट निकाला,।
उसने कहा कि ,ये कोई साधारण पैकेट नहीं है..!"
उसने पैकेट खोला
और उसमें रखी बेहद खूबसूरत सिल्क की साड़ी और उसके साथ की ज्वेलरी को एकटक देखने लगा।
ये हमने लिया था 8-9 साल पहले, जब हम पहली बार न्युयार्क गए थे परन्तु उसने ये कभी पहनी नहीं क्योंकि वह इसे किसी खास मौके पर पहनना चाहती थी।
और इसलिए इसे बचा कर रखा था।
उसने उस पैकेट को भी दूसरे और कपड़ों के साथ अपनी बीवी की अर्थी के पास रख दिया,उसकी बीवी की मृत्यु अभी अचानक ही हुई थी।
उसने रोते हुए मेरी और देखा और कहा-
किसी भी खास मौके के लिए कभी भी कुछ भी मत बचा के रखना जिंदगी का हर एक दिन खास मौका है,कल का कुछ भरोसा नहीं है।
मुझे लगता है,
उसकी उन बातों ने मेरी जिंदगी बदल दी।
मित्रों अब मैं किसी बात की ज्यादा चिंता नहीं करता,
अब मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताता हूँ,
और काम का कम टेंशन लेता हूँ।
मुझे अब समझ में आ चुका है कि जिंदगी जिंदादिली से जीने का नाम है,
डर-डर के,रूक-रूक के बहुत ज्यादा विचार करके चलने में समय आगे निकल जाता है,
और हम पिछड़ जाते हैं।
अब मैं कुछ भी बहुत बहुत संभाल-संभाल के नहीं रखता, हर एक चीज़ का बिंदास और भरपूर उपयोग जी भर के करता हूँ।
अब मैं घर के शोकेस में रखी महँगी क्रॉकरी का हर दिन उपयोग करता हूँ..
अगर मुझे पास के सुपर मार्केट में या नज़दीकी माॅल में मूवी देखने नए कपड़े पहन के जाने का मन है तो मैं जाता हूँ।
अपने कीमती खास परफ्यूम को विशेष मौकों के लिए संभाल कर बचा के नहीं रखता,मैं उन्हें जब मर्जी आए तब उपयोग करता हूँ,
एक दिन''किसी दिन
' कोई ख़ास मौका' जैसे शब्द अब मेरी डिक्शनरी से गुम होते जा रहे हैं..।
अगर कुछ देखने,सुनने या करने लायक है,
तो मुझे उसे अभी देखना सुनना या करना होता है।
मुझे नहीं पता मेरे दोस्त की बीवी क्या करती,
अगर उसे पता होता कि वह अगली सुबह नहीं देख पाएगी,
शायद वह अपने नज़दीकी रिश्तेदारों और खास दोस्तों को बुलाती
शायद वह अपने पुराने रूठे हुए दोस्तों से दोस्ती और शांति की बातें करती।
अगर मुझे पता चले
कि मेरा अंतिम समय आ गया है तो क्या मैं,
इन इतनी छोटी-छोटी चीजों को भी नहीं कर पाने के लिए अफसोस करूँगा।
नहीं..
इन सब इच्छाओं को तो आज ही आराम से पूरा कर सकता हूँ..! हर दिन,
हर घंटा,
हर मिनट,
हर पल विशेष है,
खास है...बहुत खास है।
प्यारें धर्म प्रेमी यों ..!
जिंदगी का लुत्फ उठाइए,
आज में जिंदगी बसर कीजिये।
ध्यान,सामायिक,स्वाध्याय में लगो
क्या पता कल हो न हो,
वैसे भी कहते हैं न कल तो कभी आता ही नहीं।
अगर आपको ये मेसेज मिला है,
इसका मतलब है,
कि कोई आपकी परवाह करता है,
केयर करता है,
क्योंकि शायद आप भी किसी की परवाह करते हैं,
ध्यान रखते हैं।
अगर आप
अभी बहुत व्यस्त हैं,
और,
इसे किसी "अपने" को बाद में या,
किसी और दिन भेज देंगे..
तो याद रखिये
कोई ओर दिन बहुत दूर है।
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
Friday, 4 December 2020
सफलता चाहिए तो सकारात्मक सोचो
सफलता चाहिए तो🌹सकारात्मक सोचो
🌹एक राजा था। बेहद दयालु, नेक, प्रजा का ध्यान रखने वाला और बहादुर। एक युद्ध में उसके एक पैर में गहरी चोट लग गई और पैर को थोड़ा-सा काटना पड़ गया। एक दूसरे युद्ध में उसकी एक आंख चली गई। इससे राजा काफी बदसूरत दिखने लगा।
🔷राजा ने सोचा कि मेरे पूर्वजों की खूबसूरत तस्वीरें महल में चारों तरफ लगी हैं। मेरी भी लगनी चाहिए, नहीं तो मेरे जाने के बाद मुझे कौन याद रखेगा। राजा ने घोषणा करवाई कि जो भी मेरा अच्छा चित्र बनाएगा, उसे मैं बड़ा पुरस्कार दूंगा। चित्रकारों ने सोचा कि राजा तो बदसूरत है। एक पैर छोटा है और आंख से भी काना है। इतने ख़राब दिखने वाले की अच्छी तस्वीर कैसे बनेगी। अच्छी तस्वीर नहीं बनेगी तो राजा नाराज़ हो जाएगा। लेकिन एक चित्रकार ने चुनौती स्वीकार की और अलग तरह से सोचना शुरू किया।
🌹संभावना भरी सोच : उस चित्रकार ने ‘पॉसिबिलिटी थिंकिंग’ से सोचना शुरू किया। उसने राजा की अच्छाइयों के बारे में सोचा तो उसे लगा कि राजा नेक, दयालु, बहादुर और उदार है। ऐसा राजा भाग्यशालियों को मिलता है। उसने निर्णय लिया कि वह राजा की खूबियां दिखा सकता है। उसे एहसास हुआ कि शरीर में तो बहुत से अंग होते हैं। सिर्फ एक पैर और एक आंख को छोड़कर वह बाकी के अंगों को बेहद खूबसूरत तरीके से दिखा सकता है। बढ़िया वस्त्र और साज-शृंगार दिखा सकता है। यह संभावना भरी सोच है। इससे सोचेंगे तो आपको अपनी ज़िंदगी में चारों तरफ अच्छी चीज़ें नजर आएंगी। उसको राजा में सब कुछ अच्छा नजर आ रहा था।
🔷सोच पर अमल : अब उसने एक्शन करने यानी सोच पर अमल करने का निर्णय लिया, क्योंकि सिर्फ अच्छा सोचने से कुछ नहीं होता। उसने दृढ़ निश्चय किया कि चाहे जो हो जाए, मैं अपना सौ प्रतिशत प्रयास करूंगा। पावर थिंकिंग कहती है कि जो एक्शन ही नहीं करेगा यानी प्रयास ही नहीं करेगा, जोखिम रहित जिंदगी जीने की कवायद में लगा रहेगा, वह कभी कुछ हासिल नहीं कर पाएगा।
🌹अनावरण के दिन सबको लगा कि आज इस चित्रकार को जरूर सजा मिलेगी क्योंकि राजा की सुंदर तस्वीर बनाई ही नहीं जा सकती। लेकिन जैसे ही चित्र का अनावरण हुआ, लोगों के दांतों तले उंगली दबी की दबी रह गई। राजा तालियां बजाता रहा, क्योंकि उसने कभी नहीं सोचा था कि कोई उसे इतना सुंदर दिखा सकता है।
🔷उसने राजा की ऐसी तस्वीर बनाई थी कि उसमें राजा घोड़े पर बैठा है और तीर को कमान पर साध कर रखा है। राजा की कानी आंख बंद है और दोष समझ ही नहीं आ रहा है क्योंकि जब तीर कमान पर साधते हैं, तो एक आंख बंद हो जाती है। इस तरीके से उसने राजा की कानी आंख छुपा दी। राजा का एक ही सही पैर नज़र आ रहा था क्योंकि तस्वीर में वह घोड़े पर बैठा है और साइड पोज है। राजा ने उस चित्रकार को खूब पुरस्कार दिए, अपने यहां मंत्री का दर्जा भी दिया क्योंकि उसने कमियों की जगह खूबियां ढूंढने के लिए मेहनत की थी।
🌹पॉसिबिलिटी थिंकिंग कहती है कि हर जगह कोई ना कोई संभावना पैदा की जा सकती है। यदि समस्या को ही देखेंगे तो समस्या ही दिखेगी और अवसर को देखेंगे तो अवसर। सब कुछ इस बात पर निर्भर है कि आप क्या देखना चाहते हैं।
पॉसिबिलिटी थिंकिंग में विश्वास करने वाले लोग किसी भी मीटिंग का 90 फीसदी वक़्त समाधान सोचने में लगाते हैं। वे समस्या को महत्व नहीं देते, क्योंकि उन्हें पता है कि हर ताले की कोई ना कोई चाबी जरूर होती है। तो हर दिन जीवन और व्यापार में संभावनाएं ढूंढिए।
🔷चाहे खतरा हो, चाहे इगो का संकट हो, चाहे कोई मना कर दे, चाहे कोई अपमान कर दे लेकिन उसके बाद भी डटे रहने का नाम है पावर थिंकिंग। घर बैठकर सोचने से कुछ नहीं होगा, जब तक एक्शन नहीं होगा। ज्ञान होने से भी कुछ नहीं बदलता, अमल करने से बदलता है।
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
बोले हुए शब्द वापस नहीं आते
हमारी day-today life में कई बार ऐसा होता है कि हम या तो बहुत गुस्से में, झुंझलाकर, या बस यूँ ही कुछ ऐसा कह जाते हैं जो हमें नहीं कहना चाहिए.
आज मैं आपके साथ एक छोटी सी Story share कर रहा हू
बोले हुए शब्द वापस नहीं आते
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया. उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा.
संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो .” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.
तब संत ने कहा , ” अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”
किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है, तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते.
इस कहानी से क्या सीख मिलती है:
कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कि भला-बुरा कहने के बाद कुछ भी कर के अपने शब्द वापस नहीं लिए जा सकते.
हाँ, आप उस व्यक्ति से जाकर क्षमा ज़रूर मांग सकते हैं,
और मांगनी भी चाहिए, पर human nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर लीजिये इंसान कहीं ना कहीं hurt हो ही जाता है.
जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है. खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप रहा जाए.
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
नफरत और प्रेम
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!
Wednesday, 2 December 2020
अभ्यास का महत्त्व
💐💐अभ्यास का महत्त्व💐💐
प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढ़ा करते थे। बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था।
बच्चे गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में आश्रम की देखभाल किया करते थे और अध्ययन भी किया करते थे।
वरदराज को भी सभी की तरह गुरुकुल भेज दिया गया।
वहां आश्रम में अपने साथियों के साथ घुलने मिलने लगा।
लेकिन वह पढ़ने में बहुत ही कमजोर था।
गुरुजी की कोई भी बात उसके बहुत कम समझ में आती थी। इस कारण सभी के बीच वह उपहास का कारण बनता है।
उसके सारे साथी अगली कक्षा में चले गए लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पाया।
गुरुजी जी ने भी आखिर हार मानकर उसे बोला, “बेटा वरदराज! मैने सारे प्रयास करके देख लिये है।
अब यही उचित होगा कि तुम यहां अपना समय बर्बाद मत करो।
अपने घर चले जाओ और घरवालों की काम में मदद करो।”
वरदराज ने भी सोचा कि शायद विद्या मेरी किस्मत में नहीं हैं। और भारी मन से गुरुकुल से घर के लिए निकल गया गया।
दोपहर का समय था। रास्ते में उसे प्यास लगने लगी।
इधर उधर देखने पर उसने पाया कि थोड़ी दूर पर ही कुछ महिलाएं कुएं से पानी भर रही थी। वह कुवे के पास गया।
वहां पत्थरों पर रस्सी के आने जाने से निशान बने हुए थे,तो उसने महिलाओ से पूछा, “यह निशान आपने कैसे बनाएं।”
तो एक महिला ने जवाब दिया, “बेटे यह निशान हमने नहीं बनाएं। यह तो पानी खींचते समय इस कोमल रस्सी के बार बार आने जाने से ठोस पत्थर पर भी ऐसे निशान बन गए हैं।”
वरदराज सोच में पड़ गया।
उसने विचार किया कि जब एक कोमल से रस्सी के बार-बार आने जाने से एक ठोस पत्थर पर गहरे निशान बन सकते हैं तो निरंतर अभ्यास से में विद्या ग्रहण क्यों नहीं कर सकता।
वरदराज ढेर सारे उत्साह के साथ वापस गुरुकुल आया और अथक कड़ी मेहनत की।
गुरुजी ने भी खुश होकर भरपूर सहयोग किया।
कुछ ही सालों बाद यही मंदबुद्धि बालक वरदराज आगे चलकर संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान बना। जिसने लघुसिद्धान्तकौमुदी, मध्यसिद्धान्तकौमुदी, सारसिद्धान्तकौमुदी, गीर्वाणपदमंजरी की रचना की।
शिक्षा(Moral):
दोस्तो अभ्यास की शक्ति का तो कहना ही क्या हैं। यह आपके हर सपने को पूरा करेगी। अभ्यास बहुत जरूरी है चाहे वो खेल मे हो या पढ़ाई में या किसी ओर चीज़ में। बिना अभ्यास के आप सफल नहीं हो सकते हो।
अगर आप बिना अभ्यास के केवल किस्मत के भरोसे बैठे रहोगे, तो आखिर मैं आपको पछतावे के सिवा और कुछ हाथ नहीं लगेगा। इसलिए अभ्यास के साथ धैर्य, परिश्रम और लगन रखकर आप अपनी मंजिल को पाने के लिए जुट जाएँ !
सदैव प्रसन्न रहिये!!
जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!
It is not difficult to know me but it is not as easy as you are thinking, do not praise me in front of anyone but do not speak ill of me in front of anyone either!
Similarly, don't praise me in front of me, rather criticize me in front of me without hesitation, next time you will definitely see improvement!
I'm that simple!!!!



















