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Tuesday, 8 December 2020
SMALL THOUGHTS

SMALL THOUGHTS

सच्चा दोस्त
❤️सच्चा दोस्त❤️
राम नाम के एक लड़के को पैसों की सख्त ज़रुरत थी . उसने अपने मालिक से मदद मांगी . मालिक पैसे देने को तैयार हो गया पर उसने एक शर्त रखी . शर्त ये थी कि राम को बिना आग जलाये कल की रात पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी पर बितानी थी, अगर वो ऐसा कर लेता तो उसे एक बड़ा इनाम मिलता और अगर नहीं कर पाता तो उसे मुफ्त में काम करना होता .
राम जब दुकान से निकला तो उसे एहसास हुआ कि वाकई कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है और बर्फीली हवाएं इसे और भी मुश्किल बना रही हैं . उसे मन ही मन लगा कि शायद उसने ये शर्त कबूल कर बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी है . घबराहट में वह तुरंत अपने दोस्त शाम के पास पहुंचा और सारी बात बता दी .
शाम ने कुछ देर सोचा और बोला, “ चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूँगा . कल रात, जब तुम पहाड़ी पर होगे तो ठीक सामने देखना मैं तुम्हारे लिए सामने वाली पहाड़ी पर सारी रात आग जल कर बैठूंगा .
तुम आग की तरफ देखना और हमारी दोस्ती के बारे में सोचना ; वो तुम्हे गर्म रखेगी।
और जब तुम रात बिता लोगे तो बाद में मेरे पास आना, मैं बदले में तुमसे कुछ लूंगा .”
राम अगली रात पहाड़ी पर जा पहुंचा, सामने वाली पहाड़ी पर शाम भी आग जला कर बैठा था .
अपने दोस्त की दी हुई हिम्मत से राम ने वो बर्फीली रात किसी तरह से काट ली . मालिक ने शर्त के मुताबिक उसे ढेर सारे पैसे इनाम में दिए .
इनाम मिलते ही वो शाम के पास पहुंचा, और बोला, “ तुमने कहा था कि मेरी मदद के बदले में तुम कुछ लोगे … कितने पैसे चाहिएं तुम्हे ..”
शाम बोला, “ हाँ मैंने कुछ लेने को कहा था, पर वो पैसे नहीं हैं . मैं तो तुमसे एक वादा लेना चाहता हूँ … वादा करो कि अगर कभी मेरी ज़िन्दगी में भी बर्फीली हवाएं चलें तो तुम मेरे लिए दोस्ती की आग जलाओगे .”
राम ने फ़ौरन उसे गले लगा लिया और हमेशा दोस्ती निभाने का वादा किया .
दोस्ती ही वो पहला रिश्ता होता है जो हम खुद बनाते हैं, बाकी रिश्तों के साथ तो हम पैदा होते हैं . सचमुच अगर हम अपने जीवन से “दोस्तों ” को निकाल दें तो ज़िन्दगी कितनी खाली लगे … दोस्त होने का मतलब सिर्फ खुशियां बांटना नहीं होता …दोस्ती का असली मतलब अपने दोस्त का उस समय साथ देना होता है जब वो मुसीबत में हो, जब उसे हमारी सबसे ज्यादा ज़रुरत हो …
क्या आपका कोई सच्चा दोस्त है ? बिलकुल है, वो वही है जिसके आप सच्चे दोस्त हैं . और अगर नहीं है
तो सबसे पहले आपको एक सच्चा दोस्त बनना चाहिए … अपने आप ही आपका एक सच्चा दोस्त बन जाएगा . !

SMALL THOUGHTS

Monday, 7 December 2020
आनंदित रहने की कला
आनंदित रहने की कला
एक राजा बहुत दिनों से विचार कर रहा था कि वह राजपाट छोड़कर अध्यात्म (ईश्वर की खोज) में समय लगाए । राजा ने इस बारे में बहुत सोचा और फिर अपने गुरु को अपनी समस्याएँ बताते हुए कहा कि उसे राज्य का कोई योग्य वारिस नहीं मिल पाया है । राजा का बच्चा छोटा है, इसलिए वह राजा बनने के योग्य नहीं है । जब भी उसे कोई पात्र इंसान मिलेगा, जिसमें राज्य सँभालने के सारे गुण हों, तो वह राजपाट छोड़कर शेष जीवन अध्यात्म के लिए समर्पित कर देगा ।
गुरु ने कहा, "राज्य की बागड़ोर मेरे हाथों में क्यों नहीं दे देते ? क्या तुम्हें मुझसे ज्यादा पात्र, ज्यादा सक्षम कोई इंसान मिल सकता है ?"
राजा ने कहा, "मेरे राज्य को आप से अच्छी तरह भला कौन संभल सकता है ? लीजिए, मैं इसी समय राज्य की बागड़ोर आपके हाथों में सौंप देता हूँ ।"
गुरु ने पूछा, "अब तुम क्या करोगे ?"
राजा बोला, "मैं राज्य के खजाने से थोड़े पैसे ले लूँगा, जिससे मेरा बाकी जीवन चल जाए ।"
गुरु ने कहा, "मगर अब खजाना तो मेरा है, मैं तुम्हें एक पैसा भी लेने नहीं दूँगा ।"
राजा बोला, "फिर ठीक है, "मैं कहीं कोई छोटी-मोटी नौकरी कर लूँगा, उससे जो भी मिलेगा गुजारा कर लूँगा ।"
गुरु ने कहा, "अगर तुम्हें काम ही करना है तो मेरे यहाँ एक नौकरी खाली है । क्या तुम मेरे यहाँ नौकरी करना चाहोगे ?"
राजा बोला, "कोई भी नौकरी हो, मैं करने को तैयार हूँ ।"
गुरु ने कहा, "मेरे यहाँ राजा की नौकरी खाली है । मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए यह नौकरी करो और हर महीने राज्य के खजाने से अपनी तनख्वाह लेते रहना ।"
एक वर्ष बाद गुरु ने वापस लौटकर देखा कि राजा बहुत खुश था । अब तो दोनों ही काम हो रहे थे । जिस अध्यात्म के लिए राजपाट छोड़ना चाहता था, वह भी चल रहा था और राज्य सँभालने का काम भी अच्छी तरह चल रहा था । अब उसे कोई चिंता नहीं थी ।
इस कहानी से समझ में आएगा की वास्तव में क्या परिवर्तन हुआ ? कुछ भी तो नहीं! राज्य वही, राजा वही, काम वही; दृष्टिकोण बदल गया ।
इसी तरह हम भी जीवन में अपना दृष्टिकोण बदलें । मालिक बनकर नहीं, बल्कि यह सोचकर सारे कार्य करें की, "मैं ईश्वर कि नौकरी कर रहा हूँ" अब ईश्वर ही जाने । सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दें । फिर ही आप हर समस्या और परिस्थिति में खुशहाल रह पाएँगे।

कर्म और भाग्य
कर्म और भाग्य
एक चाट वाला था। जब भी चाट खाने जाओ ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता। कई बार उसे कहा कि भाई देर हो जाती है जल्दी चाट लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नहीं होती।
एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।
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तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैंने सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते हैं। मैंने एक सवाल उछाल दिया।
मेरा सवाल था कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से?
और उसके जवाब से मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।
कहने लगा,आपका किसी बैंक में लॉकर तो होगा?
उसकी चाभियाँ ही इस सवाल का जवाब है। हर लॉकर की दो चाभियाँ होती हैं।
एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास।
आप के पास जो चाभी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य।
जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नहीं खुल सकता।
आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान।
आप को अपनी चाभी भी लगाते रहना चाहिये।पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे। कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये ।

Saturday, 5 December 2020
सुनो सब कुछ.....

कोई ओर दिन कभी नही आता
कोई ओर दिन कभी नही आता
एक मित्र नेअपनी बीवी की अलमारी खोली और एक सुनहरे कलर का पेकेट निकाला,।
उसने कहा कि ,ये कोई साधारण पैकेट नहीं है..!"
उसने पैकेट खोला
और उसमें रखी बेहद खूबसूरत सिल्क की साड़ी और उसके साथ की ज्वेलरी को एकटक देखने लगा।
ये हमने लिया था 8-9 साल पहले, जब हम पहली बार न्युयार्क गए थे परन्तु उसने ये कभी पहनी नहीं क्योंकि वह इसे किसी खास मौके पर पहनना चाहती थी।
और इसलिए इसे बचा कर रखा था।
उसने उस पैकेट को भी दूसरे और कपड़ों के साथ अपनी बीवी की अर्थी के पास रख दिया,उसकी बीवी की मृत्यु अभी अचानक ही हुई थी।
उसने रोते हुए मेरी और देखा और कहा-
किसी भी खास मौके के लिए कभी भी कुछ भी मत बचा के रखना जिंदगी का हर एक दिन खास मौका है,कल का कुछ भरोसा नहीं है।
मुझे लगता है,
उसकी उन बातों ने मेरी जिंदगी बदल दी।
मित्रों अब मैं किसी बात की ज्यादा चिंता नहीं करता,
अब मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताता हूँ,
और काम का कम टेंशन लेता हूँ।
मुझे अब समझ में आ चुका है कि जिंदगी जिंदादिली से जीने का नाम है,
डर-डर के,रूक-रूक के बहुत ज्यादा विचार करके चलने में समय आगे निकल जाता है,
और हम पिछड़ जाते हैं।
अब मैं कुछ भी बहुत बहुत संभाल-संभाल के नहीं रखता, हर एक चीज़ का बिंदास और भरपूर उपयोग जी भर के करता हूँ।
अब मैं घर के शोकेस में रखी महँगी क्रॉकरी का हर दिन उपयोग करता हूँ..
अगर मुझे पास के सुपर मार्केट में या नज़दीकी माॅल में मूवी देखने नए कपड़े पहन के जाने का मन है तो मैं जाता हूँ।
अपने कीमती खास परफ्यूम को विशेष मौकों के लिए संभाल कर बचा के नहीं रखता,मैं उन्हें जब मर्जी आए तब उपयोग करता हूँ,
एक दिन''किसी दिन
' कोई ख़ास मौका' जैसे शब्द अब मेरी डिक्शनरी से गुम होते जा रहे हैं..।
अगर कुछ देखने,सुनने या करने लायक है,
तो मुझे उसे अभी देखना सुनना या करना होता है।
मुझे नहीं पता मेरे दोस्त की बीवी क्या करती,
अगर उसे पता होता कि वह अगली सुबह नहीं देख पाएगी,
शायद वह अपने नज़दीकी रिश्तेदारों और खास दोस्तों को बुलाती
शायद वह अपने पुराने रूठे हुए दोस्तों से दोस्ती और शांति की बातें करती।
अगर मुझे पता चले
कि मेरा अंतिम समय आ गया है तो क्या मैं,
इन इतनी छोटी-छोटी चीजों को भी नहीं कर पाने के लिए अफसोस करूँगा।
नहीं..
इन सब इच्छाओं को तो आज ही आराम से पूरा कर सकता हूँ..! हर दिन,
हर घंटा,
हर मिनट,
हर पल विशेष है,
खास है...बहुत खास है।
प्यारें धर्म प्रेमी यों ..!
जिंदगी का लुत्फ उठाइए,
आज में जिंदगी बसर कीजिये।
ध्यान,सामायिक,स्वाध्याय में लगो
क्या पता कल हो न हो,
वैसे भी कहते हैं न कल तो कभी आता ही नहीं।
अगर आपको ये मेसेज मिला है,
इसका मतलब है,
कि कोई आपकी परवाह करता है,
केयर करता है,
क्योंकि शायद आप भी किसी की परवाह करते हैं,
ध्यान रखते हैं।
अगर आप
अभी बहुत व्यस्त हैं,
और,
इसे किसी "अपने" को बाद में या,
किसी और दिन भेज देंगे..
तो याद रखिये
कोई ओर दिन बहुत दूर है।

Friday, 4 December 2020
सफलता चाहिए तो सकारात्मक सोचो
सफलता चाहिए तो🌹सकारात्मक सोचो
🌹एक राजा था। बेहद दयालु, नेक, प्रजा का ध्यान रखने वाला और बहादुर। एक युद्ध में उसके एक पैर में गहरी चोट लग गई और पैर को थोड़ा-सा काटना पड़ गया। एक दूसरे युद्ध में उसकी एक आंख चली गई। इससे राजा काफी बदसूरत दिखने लगा।
🔷राजा ने सोचा कि मेरे पूर्वजों की खूबसूरत तस्वीरें महल में चारों तरफ लगी हैं। मेरी भी लगनी चाहिए, नहीं तो मेरे जाने के बाद मुझे कौन याद रखेगा। राजा ने घोषणा करवाई कि जो भी मेरा अच्छा चित्र बनाएगा, उसे मैं बड़ा पुरस्कार दूंगा। चित्रकारों ने सोचा कि राजा तो बदसूरत है। एक पैर छोटा है और आंख से भी काना है। इतने ख़राब दिखने वाले की अच्छी तस्वीर कैसे बनेगी। अच्छी तस्वीर नहीं बनेगी तो राजा नाराज़ हो जाएगा। लेकिन एक चित्रकार ने चुनौती स्वीकार की और अलग तरह से सोचना शुरू किया।
🌹संभावना भरी सोच : उस चित्रकार ने ‘पॉसिबिलिटी थिंकिंग’ से सोचना शुरू किया। उसने राजा की अच्छाइयों के बारे में सोचा तो उसे लगा कि राजा नेक, दयालु, बहादुर और उदार है। ऐसा राजा भाग्यशालियों को मिलता है। उसने निर्णय लिया कि वह राजा की खूबियां दिखा सकता है। उसे एहसास हुआ कि शरीर में तो बहुत से अंग होते हैं। सिर्फ एक पैर और एक आंख को छोड़कर वह बाकी के अंगों को बेहद खूबसूरत तरीके से दिखा सकता है। बढ़िया वस्त्र और साज-शृंगार दिखा सकता है। यह संभावना भरी सोच है। इससे सोचेंगे तो आपको अपनी ज़िंदगी में चारों तरफ अच्छी चीज़ें नजर आएंगी। उसको राजा में सब कुछ अच्छा नजर आ रहा था।
🔷सोच पर अमल : अब उसने एक्शन करने यानी सोच पर अमल करने का निर्णय लिया, क्योंकि सिर्फ अच्छा सोचने से कुछ नहीं होता। उसने दृढ़ निश्चय किया कि चाहे जो हो जाए, मैं अपना सौ प्रतिशत प्रयास करूंगा। पावर थिंकिंग कहती है कि जो एक्शन ही नहीं करेगा यानी प्रयास ही नहीं करेगा, जोखिम रहित जिंदगी जीने की कवायद में लगा रहेगा, वह कभी कुछ हासिल नहीं कर पाएगा।
🌹अनावरण के दिन सबको लगा कि आज इस चित्रकार को जरूर सजा मिलेगी क्योंकि राजा की सुंदर तस्वीर बनाई ही नहीं जा सकती। लेकिन जैसे ही चित्र का अनावरण हुआ, लोगों के दांतों तले उंगली दबी की दबी रह गई। राजा तालियां बजाता रहा, क्योंकि उसने कभी नहीं सोचा था कि कोई उसे इतना सुंदर दिखा सकता है।
🔷उसने राजा की ऐसी तस्वीर बनाई थी कि उसमें राजा घोड़े पर बैठा है और तीर को कमान पर साध कर रखा है। राजा की कानी आंख बंद है और दोष समझ ही नहीं आ रहा है क्योंकि जब तीर कमान पर साधते हैं, तो एक आंख बंद हो जाती है। इस तरीके से उसने राजा की कानी आंख छुपा दी। राजा का एक ही सही पैर नज़र आ रहा था क्योंकि तस्वीर में वह घोड़े पर बैठा है और साइड पोज है। राजा ने उस चित्रकार को खूब पुरस्कार दिए, अपने यहां मंत्री का दर्जा भी दिया क्योंकि उसने कमियों की जगह खूबियां ढूंढने के लिए मेहनत की थी।
🌹पॉसिबिलिटी थिंकिंग कहती है कि हर जगह कोई ना कोई संभावना पैदा की जा सकती है। यदि समस्या को ही देखेंगे तो समस्या ही दिखेगी और अवसर को देखेंगे तो अवसर। सब कुछ इस बात पर निर्भर है कि आप क्या देखना चाहते हैं।
पॉसिबिलिटी थिंकिंग में विश्वास करने वाले लोग किसी भी मीटिंग का 90 फीसदी वक़्त समाधान सोचने में लगाते हैं। वे समस्या को महत्व नहीं देते, क्योंकि उन्हें पता है कि हर ताले की कोई ना कोई चाबी जरूर होती है। तो हर दिन जीवन और व्यापार में संभावनाएं ढूंढिए।
🔷चाहे खतरा हो, चाहे इगो का संकट हो, चाहे कोई मना कर दे, चाहे कोई अपमान कर दे लेकिन उसके बाद भी डटे रहने का नाम है पावर थिंकिंग। घर बैठकर सोचने से कुछ नहीं होगा, जब तक एक्शन नहीं होगा। ज्ञान होने से भी कुछ नहीं बदलता, अमल करने से बदलता है।

बोले हुए शब्द वापस नहीं आते
हमारी day-today life में कई बार ऐसा होता है कि हम या तो बहुत गुस्से में, झुंझलाकर, या बस यूँ ही कुछ ऐसा कह जाते हैं जो हमें नहीं कहना चाहिए.
आज मैं आपके साथ एक छोटी सी Story share कर रहा हू
बोले हुए शब्द वापस नहीं आते
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया. उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा.
संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो .” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.
तब संत ने कहा , ” अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”
किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है, तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते.
इस कहानी से क्या सीख मिलती है:
कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कि भला-बुरा कहने के बाद कुछ भी कर के अपने शब्द वापस नहीं लिए जा सकते.
हाँ, आप उस व्यक्ति से जाकर क्षमा ज़रूर मांग सकते हैं,
और मांगनी भी चाहिए, पर human nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर लीजिये इंसान कहीं ना कहीं hurt हो ही जाता है.
जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है. खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप रहा जाए.
