Sunday, 13 December 2020

SMALL THOUGHTS

क्रोध आने पर चिल्लाने के लिए ताक़त नहीं चाहिए......




मगर क्रोध आने पर चुप रहने के लिए बहुत ताक़त चाहिए !!!




Tuesday, 8 December 2020

SMALL THOUGHTS

 किसी व्यक्ति का व्यवहार देखना हो तो उसे सम्मान दो ........



आदत देखनी है तो उसे स्वतंत्र कर दो.......



नीयत देखनी है तो उसे क़र्ज़ दो......



और अगर उसके गुण देखने हैं तो उसके साथ कुछ समय बिताओ!!!!





SMALL THOUGHTS

हमारे संस्कार हमें झुकना ज़रूर सिखाते हैं......








लेकिन किसी की अकड़ के आगे नहीं!!!!!






SMALL THOUGHTS

 जब तक हम डरते रहेंगे....




हमारी ज़िन्दगी के फैसले कोई और लेते रहेगा! !!!




सच्चा दोस्त

              ❤️सच्चा दोस्त❤️


राम नाम के एक लड़के को पैसों की सख्त ज़रुरत थी . उसने अपने मालिक से मदद मांगी . मालिक पैसे देने को तैयार हो गया पर उसने एक शर्त रखी . शर्त ये थी कि राम को बिना आग जलाये कल की रात पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी पर बितानी थी, अगर वो ऐसा कर लेता तो उसे एक बड़ा इनाम मिलता और अगर नहीं कर पाता तो उसे मुफ्त में काम करना होता .


राम जब दुकान से निकला तो उसे एहसास हुआ कि वाकई कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है और बर्फीली हवाएं इसे और भी मुश्किल बना रही हैं . उसे मन ही मन लगा कि शायद उसने ये शर्त कबूल कर बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी है . घबराहट में वह तुरंत अपने दोस्त शाम के पास पहुंचा और सारी बात बता दी .


शाम ने कुछ देर सोचा और बोला, “ चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूँगा . कल रात, जब तुम पहाड़ी पर होगे तो ठीक सामने देखना मैं तुम्हारे लिए सामने वाली पहाड़ी पर सारी रात आग जल कर बैठूंगा .


तुम आग की तरफ देखना और हमारी दोस्ती के बारे में सोचना ; वो तुम्हे गर्म रखेगी।


और जब तुम रात बिता लोगे तो बाद में मेरे पास आना, मैं बदले में तुमसे कुछ लूंगा .”


राम अगली रात पहाड़ी पर जा पहुंचा, सामने वाली पहाड़ी पर शाम भी आग जला कर बैठा था .


अपने दोस्त की दी हुई हिम्मत से राम ने वो बर्फीली रात किसी तरह से काट ली . मालिक ने शर्त के मुताबिक उसे ढेर सारे पैसे इनाम में दिए .


इनाम मिलते ही वो शाम के पास पहुंचा, और बोला,  “ तुमने कहा था कि मेरी मदद के बदले में तुम कुछ लोगे … कितने पैसे चाहिएं तुम्हे ..”


शाम बोला, “ हाँ मैंने कुछ लेने को कहा था, पर वो पैसे नहीं हैं . मैं तो तुमसे एक वादा लेना चाहता हूँ … वादा करो कि अगर कभी मेरी ज़िन्दगी में भी बर्फीली हवाएं चलें तो तुम मेरे लिए दोस्ती की आग जलाओगे .”


राम ने फ़ौरन उसे गले लगा लिया और हमेशा दोस्ती निभाने का वादा किया .


दोस्ती ही वो पहला रिश्ता होता है जो हम खुद बनाते हैं, बाकी रिश्तों के साथ तो हम पैदा होते हैं . सचमुच अगर हम अपने जीवन से “दोस्तों ” को निकाल  दें तो ज़िन्दगी कितनी खाली लगे … दोस्त होने का मतलब सिर्फ खुशियां बांटना नहीं होता …दोस्ती का असली मतलब अपने दोस्त का उस समय साथ देना होता है जब वो मुसीबत में हो, जब उसे हमारी सबसे ज्यादा ज़रुरत हो …


क्या आपका कोई सच्चा दोस्त है ? बिलकुल है, वो वही है जिसके आप सच्चे दोस्त हैं . और अगर नहीं है 

तो सबसे पहले आपको एक सच्चा दोस्त बनना चाहिए … अपने आप ही आपका एक सच्चा दोस्त बन जाएगा . !





SMALL THOUGHTS

एक मास्क से .....


उनका क्या होगा...



जिनके कई चेहरे हैं !!!!




Monday, 7 December 2020

आनंदित रहने की कला

 आनंदित रहने की कला


एक राजा बहुत दिनों से विचार कर रहा था कि वह राजपाट छोड़कर अध्यात्म (ईश्वर की खोज) में समय लगाए । राजा ने इस बारे में बहुत सोचा और फिर अपने गुरु को अपनी समस्याएँ बताते हुए कहा कि उसे राज्य का कोई योग्य वारिस नहीं मिल पाया है । राजा का बच्चा छोटा है, इसलिए वह राजा बनने के योग्य नहीं है । जब भी उसे कोई पात्र इंसान मिलेगा, जिसमें राज्य सँभालने के सारे गुण हों, तो वह राजपाट छोड़कर शेष जीवन अध्यात्म के लिए समर्पित कर देगा ।


गुरु ने कहा, "राज्य की बागड़ोर मेरे हाथों में क्यों नहीं दे देते ? क्या तुम्हें मुझसे ज्यादा पात्र, ज्यादा सक्षम कोई इंसान मिल सकता है ?"


राजा ने कहा, "मेरे राज्य को आप से अच्छी तरह भला कौन संभल सकता है ? लीजिए, मैं इसी समय राज्य की बागड़ोर आपके हाथों में सौंप देता हूँ ।"


गुरु ने पूछा, "अब तुम क्या करोगे ?"


राजा बोला, "मैं राज्य के खजाने से थोड़े पैसे ले लूँगा, जिससे मेरा बाकी जीवन चल जाए ।"


गुरु ने कहा, "मगर अब खजाना तो मेरा है, मैं तुम्हें एक पैसा भी लेने नहीं दूँगा ।"


राजा बोला, "फिर ठीक है, "मैं कहीं कोई छोटी-मोटी नौकरी कर लूँगा, उससे जो भी मिलेगा गुजारा कर लूँगा ।"


गुरु ने कहा, "अगर तुम्हें काम ही करना है तो मेरे यहाँ एक नौकरी खाली है । क्या तुम मेरे यहाँ नौकरी करना चाहोगे ?"


राजा बोला, "कोई भी नौकरी हो, मैं करने को तैयार हूँ ।"


गुरु ने कहा, "मेरे यहाँ राजा की नौकरी खाली है । मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए यह नौकरी करो और हर महीने राज्य के खजाने से अपनी तनख्वाह लेते रहना ।"


एक वर्ष बाद गुरु ने वापस लौटकर देखा कि राजा बहुत खुश था । अब तो दोनों ही काम हो रहे थे । जिस अध्यात्म के लिए राजपाट छोड़ना चाहता था, वह भी चल रहा था और राज्य सँभालने का काम भी अच्छी तरह चल रहा था । अब उसे कोई चिंता नहीं थी ।


इस कहानी से समझ में आएगा की वास्तव में क्या परिवर्तन हुआ ? कुछ भी तो नहीं! राज्य वही, राजा वही, काम वही; दृष्टिकोण बदल गया ।


इसी तरह हम भी जीवन में अपना दृष्टिकोण बदलें । मालिक बनकर नहीं, बल्कि यह सोचकर सारे कार्य करें की, "मैं ईश्वर कि नौकरी कर रहा हूँ" अब ईश्वर ही जाने । सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दें । फिर ही आप हर समस्या और परिस्थिति में खुशहाल रह पाएँगे।




कर्म और भाग्य

कर्म और भाग्य



एक चाट वाला था। जब भी चाट खाने जाओ ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता। कई बार उसे कहा कि भाई देर हो जाती है जल्दी चाट लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नहीं होती।


एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।

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तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैंने सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते हैं। मैंने एक सवाल उछाल दिया।


मेरा सवाल था कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से?


और उसके जवाब से मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।


कहने लगा,आपका किसी बैंक में लॉकर तो होगा?


उसकी चाभियाँ ही इस सवाल का जवाब है। हर लॉकर की दो चाभियाँ होती हैं।


एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास।


आप के पास जो चाभी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य।


जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नहीं खुल सकता।


आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान।


आप को अपनी चाभी भी लगाते रहना चाहिये।पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे। कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये ।






Saturday, 5 December 2020

सुनो सब कुछ.....

सुनो सब कुछ.....

मगर...


देखो सिर्फ और सिर्फ अपने.....


लक्ष्य को !!!




कोई ओर दिन कभी नही आता

कोई ओर दिन कभी नही आता


एक मित्र नेअपनी बीवी की अलमारी खोली और एक सुनहरे कलर का पेकेट निकाला,।

उसने कहा कि ,ये कोई साधारण पैकेट नहीं है..!"

उसने पैकेट खोला 

और उसमें रखी बेहद खूबसूरत सिल्क की साड़ी और उसके साथ की ज्वेलरी को एकटक देखने लगा।


ये हमने लिया था 8-9 साल पहले, जब हम पहली बार न्युयार्क गए थे परन्तु उसने ये कभी पहनी नहीं क्योंकि वह इसे किसी खास मौके पर पहनना चाहती थी।

और इसलिए इसे बचा कर रखा था।

उसने उस पैकेट को भी दूसरे और कपड़ों के साथ अपनी बीवी की अर्थी के पास रख दिया,उसकी बीवी की मृत्यु अभी अचानक ही हुई थी।

उसने रोते हुए मेरी और देखा और कहा-

किसी भी खास मौके के लिए कभी भी कुछ भी मत बचा के रखना जिंदगी का हर एक दिन खास मौका है,कल का कुछ भरोसा नहीं है।

 

मुझे लगता है,

उसकी उन बातों ने मेरी जिंदगी बदल दी।

मित्रों अब मैं किसी बात की ज्यादा चिंता नहीं करता,

अब मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताता हूँ,

और काम का कम टेंशन लेता हूँ।


मुझे अब समझ में आ चुका है कि जिंदगी जिंदादिली से जीने का नाम है,

डर-डर के,रूक-रूक के बहुत ज्यादा विचार करके चलने में समय आगे निकल जाता है,

और हम पिछड़ जाते हैं।


अब मैं कुछ भी बहुत बहुत संभाल-संभाल के नहीं रखता, हर एक चीज़ का बिंदास और भरपूर उपयोग जी भर के करता हूँ।


अब मैं घर के शोकेस में रखी महँगी क्रॉकरी का हर दिन उपयोग करता हूँ..


अगर मुझे पास के सुपर मार्केट में या नज़दीकी माॅल में मूवी देखने नए कपड़े पहन के जाने का मन है तो मैं जाता हूँ।


अपने कीमती खास परफ्यूम को विशेष मौकों के लिए संभाल कर बचा के नहीं रखता,मैं उन्हें जब मर्जी आए तब उपयोग करता हूँ,

   एक दिन''किसी दिन

' कोई ख़ास मौका' जैसे शब्द अब मेरी डिक्शनरी से गुम होते जा रहे हैं..।

      अगर कुछ देखने,सुनने या करने लायक है,

तो मुझे उसे अभी देखना सुनना या करना होता है।


मुझे नहीं पता मेरे दोस्त की बीवी क्या करती,

अगर उसे पता होता कि वह अगली सुबह नहीं देख पाएगी,


शायद वह अपने नज़दीकी रिश्तेदारों और खास दोस्तों को बुलाती

शायद वह अपने पुराने रूठे हुए दोस्तों से दोस्ती और शांति की बातें करती।


        अगर मुझे पता चले

कि मेरा अंतिम समय आ गया है तो क्या मैं,

इन इतनी छोटी-छोटी चीजों को भी नहीं कर पाने के लिए अफसोस करूँगा।


               नहीं..


इन सब इच्छाओं को तो आज ही आराम से पूरा कर सकता हूँ..!    हर दिन,

        हर घंटा,

    हर मिनट,

हर पल विशेष है,

खास है...बहुत खास है।


प्यारें धर्म प्रेमी यों ..!

जिंदगी का लुत्फ उठाइए,

आज में जिंदगी बसर कीजिये। 

ध्यान,सामायिक,स्वाध्याय में लगो

क्या पता कल हो न हो,

वैसे भी कहते हैं न कल तो कभी आता ही नहीं।


अगर आपको ये मेसेज मिला है,

इसका मतलब है,

कि कोई आपकी परवाह करता है,

केयर करता है,

क्योंकि शायद आप भी किसी की परवाह करते हैं,

ध्यान रखते हैं।

अगर आप

अभी बहुत व्यस्त हैं,

और,

इसे किसी "अपने" को बाद में या,

किसी और दिन भेज देंगे..

तो याद रखिये

कोई ओर दिन बहुत दूर है।