कहा जाता है कि हर चीज का निर्माण दो बार होता है, पहले मस्तिष्क में और फिर वास्तविक जीवन में। सोने से ठीक पहले और सुबह उठने के तुरंत बाद, अपना अवचेतन मन सबसे ज्यादा संवेदनशील व ग्रहणशील होता है, इसीलिए यह समय कृतज्ञता व्यक्त करने का और सपनों के जीवन की कल्पना करके उसका निर्माण करने का सबसे अच्छा समय है।