समय आए बिना न जन्म लेता हैं, न मरता हैं और न असमय में बोलता ही हैं। बिना समय के युवा अवस्था नहीं आती और बिना समय के बोया हुवा बीज भी नहीं उगता। अतः संसार में सब कुछ समय से होता हैं। अपने समय की प्रतीक्षा करना ही श्रेयस्कर हैं॥
कहा जाता है कि हर चीज का निर्माण दो बार होता है, पहले मस्तिष्क में और फिर वास्तविक जीवन में। सोने से ठीक पहले और सुबह उठने के तुरंत बाद, अपना अवचेतन मन सबसे ज्यादा संवेदनशील व ग्रहणशील होता है, इसीलिए यह समय कृतज्ञता व्यक्त करने का और सपनों के जीवन की कल्पना करके उसका निर्माण करने का सबसे अच्छा समय है।