Thursday, 31 December 2020

SMALL THOUGHTS

 मनचाहा बोलने के लिए अनचाहा सुनने की क्षमता होनी चाहिए! 




Sunday, 20 December 2020

SMALL THOUGHTS

थक गए हैं तो.....



BREAK



जरूर ले सकते हैं....




लेकिन थककर....



QUIT



कभी ना करें!!!





दयालू गोपी

दयालू गोपी



वृंदावन की एक गोपी रोज दूध दही बेचने मथुरा जाती थी।


एक दिन व्रज में एक संत आये, गोपी भी कथा सुनने गई,


संत कथा में कह रहे थे, भगवान के नाम की बड़ी महिमा है, नाम से बड़े बड़े संकट भी टल जाते है.।


नाम तो भव सागर से तारने वाला है,


यदि भव सागर से पार होना है तो भगवान का नाम कभी मत छोडना.।


कथा समाप्त हुई गोपी अगले दिन फिर दूध दही बेचने चली,


बीच में यमुना जी थी,गोपी को संत की बात याद आई, संत ने कहा था भगवान का नाम तो भवसागर से पार लगाने वाला है।


जिस भगवान का नाम भवसागर से पार लगा सकता है तो क्या उन्ही भगवान का नाम मुझे इस साधारण सी नदी से पार नहीं लगा सकता ?


ऐसा सोचकर गोपी ने मन में भगवान के नाम का आश्रय लिया भोली भाली गोपी यमुना जी की ओर आगे बढ़ गई.।


अब जैसे ही यमुना जी में पैर रखा तो लगा मानो जमीन पर चल रही है और ऐसे ही सारी नदी पार कर गई,


पार पहुँचकर बड़ी प्रसन्न हुई, और मन में सोचने लगी कि संत ने तो ये तो बड़ा अच्छा तरीका बताया पार जाने का।


रोज-रोज नाविक को भी पैसे नहीं देने पड़ेगे।


एक दिन गोपी ने सोचा कि संत ने मेरा इतना भला किया मुझे उन्हें खाने पर बुलाना चाहिये।


अगले दिन गोपी जब दही बेचने गई, तब संत से घर में भोजन करने को कहा संत तैयार हो गए,


अब बीच में फिर यमुना नदी आई।


संत नाविक को बुलने लगा तो गोपी बोली बाबा नाविक को क्यों बुला रहे है. हम ऐसे ही यमुना जी में चलेगे.


संत बोले - गोपी ! कैसी बात करती हो, यमुना जी को ऐसे ही कैसे पार करेगे ?


गोपी बोली - बाबा ! आप ने ही तो रास्ता बताया था, आपने कथा में कहा था कि भगवान के नाम का आश्रय लेकर भवसागर से पार हो सकते है



तो मैंने सोचा जब भव सागर से पार हो सकते है तो यमुना जी से पार क्यों नहीं हो सकते ?


और मै ऐसा ही करने लगी, इसलिए मुझे अब नाव की जरुरत नहीं पड़ती।


संत को विश्वास नहीं हुआ बोले - गोपी तू ही पहले चल ! मै तुम्हारे पीछे पीछे आता हूँ,


गोपी ने भगवान के नाम का आश्रय लिया और जिस प्रकार रोज जाती थी वैसे ही यमुना जी को पार कर गई।


अब जैसे ही संत ने यमुना जी में पैर रखा तो झपाक से पानी में गिर गए, संत को बड़ा आश्चर्य, अब गोपी ने जब देखा तो कि संत तो पानी में गिर गए है तब गोपी वापस आई है और संत का हाथ पकड़कर जब चली तो संत भी गोपी की भांति ही ऐसे चले जैसे जमीन पर चल रहे हो।



संत तो गोपी के चरणों में गिर पड़े, और बोले - कि गोपी तू धन्य है !


वास्तव में तो सही अर्थो में नाम का आश्रय तो तुमने लिया है और मै जिसने नाम की महिमा बताई तो सही पर स्वयं नाम का आश्रय नहीं लिया..।


सच मे भक्त मित्रो हम भगवान नाम का जप एंव आश्रय तो लेते है पर भगवान नाम मे पूर्ण विश्वाव एंव श्रद्धा नही होने से हम इसका पूर्ण लाभ प्राप्त नही कर पाते..

शास्त्र बताते है कि भगवान श्री कृष्ण का एक नाम इतने पापो को मिटा सकता है जितना कि एक पापी व्यक्ति कभी कर भी नही सकता..


अतएव भगवान नाम पे पूर्ण श्रद्धा  एंव विश्वास रखकर ह्रदय के अंतकरण से भाव विह्वल होकर जैसे एक छोटा बालक अपनी माँ के लिए बिलखता है ..उसी भाव से सदैव नाम प्रभु का सुमिरन एंव जप करे


कलियुग केवल नाम अधारा !

सुमिर सुमिर नर उताराहि ही पारा!!





SMALL THOUGHTS

सच्चे लोगों को शायद झूठ का पता ना हो.....




लेकिन झूठे लोगों को सच का पता हमेशा होता ही है!!!!!






SMALL THOUGHTS

पेंसिल की सौ गलतियाँ माफ़ थी......



लेकिन पेन पर जिम्मेदारियां बहुत हैं!!!





Sunday, 13 December 2020

SMALL THOUGHTS

कभी कभी हम गलत नहीं होते....

लेकिन....

हमारे पास वो समय और शब्द ही नहीं होते.....




जो हमें सही साबित कर सके!!!




SMALL THOUGHTS

क्रोध आने पर चिल्लाने के लिए ताक़त नहीं चाहिए......




मगर क्रोध आने पर चुप रहने के लिए बहुत ताक़त चाहिए !!!




Tuesday, 8 December 2020

SMALL THOUGHTS

 किसी व्यक्ति का व्यवहार देखना हो तो उसे सम्मान दो ........



आदत देखनी है तो उसे स्वतंत्र कर दो.......



नीयत देखनी है तो उसे क़र्ज़ दो......



और अगर उसके गुण देखने हैं तो उसके साथ कुछ समय बिताओ!!!!





SMALL THOUGHTS

हमारे संस्कार हमें झुकना ज़रूर सिखाते हैं......








लेकिन किसी की अकड़ के आगे नहीं!!!!!






SMALL THOUGHTS

 जब तक हम डरते रहेंगे....




हमारी ज़िन्दगी के फैसले कोई और लेते रहेगा! !!!




सच्चा दोस्त

              ❤️सच्चा दोस्त❤️


राम नाम के एक लड़के को पैसों की सख्त ज़रुरत थी . उसने अपने मालिक से मदद मांगी . मालिक पैसे देने को तैयार हो गया पर उसने एक शर्त रखी . शर्त ये थी कि राम को बिना आग जलाये कल की रात पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी पर बितानी थी, अगर वो ऐसा कर लेता तो उसे एक बड़ा इनाम मिलता और अगर नहीं कर पाता तो उसे मुफ्त में काम करना होता .


राम जब दुकान से निकला तो उसे एहसास हुआ कि वाकई कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है और बर्फीली हवाएं इसे और भी मुश्किल बना रही हैं . उसे मन ही मन लगा कि शायद उसने ये शर्त कबूल कर बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी है . घबराहट में वह तुरंत अपने दोस्त शाम के पास पहुंचा और सारी बात बता दी .


शाम ने कुछ देर सोचा और बोला, “ चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूँगा . कल रात, जब तुम पहाड़ी पर होगे तो ठीक सामने देखना मैं तुम्हारे लिए सामने वाली पहाड़ी पर सारी रात आग जल कर बैठूंगा .


तुम आग की तरफ देखना और हमारी दोस्ती के बारे में सोचना ; वो तुम्हे गर्म रखेगी।


और जब तुम रात बिता लोगे तो बाद में मेरे पास आना, मैं बदले में तुमसे कुछ लूंगा .”


राम अगली रात पहाड़ी पर जा पहुंचा, सामने वाली पहाड़ी पर शाम भी आग जला कर बैठा था .


अपने दोस्त की दी हुई हिम्मत से राम ने वो बर्फीली रात किसी तरह से काट ली . मालिक ने शर्त के मुताबिक उसे ढेर सारे पैसे इनाम में दिए .


इनाम मिलते ही वो शाम के पास पहुंचा, और बोला,  “ तुमने कहा था कि मेरी मदद के बदले में तुम कुछ लोगे … कितने पैसे चाहिएं तुम्हे ..”


शाम बोला, “ हाँ मैंने कुछ लेने को कहा था, पर वो पैसे नहीं हैं . मैं तो तुमसे एक वादा लेना चाहता हूँ … वादा करो कि अगर कभी मेरी ज़िन्दगी में भी बर्फीली हवाएं चलें तो तुम मेरे लिए दोस्ती की आग जलाओगे .”


राम ने फ़ौरन उसे गले लगा लिया और हमेशा दोस्ती निभाने का वादा किया .


दोस्ती ही वो पहला रिश्ता होता है जो हम खुद बनाते हैं, बाकी रिश्तों के साथ तो हम पैदा होते हैं . सचमुच अगर हम अपने जीवन से “दोस्तों ” को निकाल  दें तो ज़िन्दगी कितनी खाली लगे … दोस्त होने का मतलब सिर्फ खुशियां बांटना नहीं होता …दोस्ती का असली मतलब अपने दोस्त का उस समय साथ देना होता है जब वो मुसीबत में हो, जब उसे हमारी सबसे ज्यादा ज़रुरत हो …


क्या आपका कोई सच्चा दोस्त है ? बिलकुल है, वो वही है जिसके आप सच्चे दोस्त हैं . और अगर नहीं है 

तो सबसे पहले आपको एक सच्चा दोस्त बनना चाहिए … अपने आप ही आपका एक सच्चा दोस्त बन जाएगा . !





SMALL THOUGHTS

एक मास्क से .....


उनका क्या होगा...



जिनके कई चेहरे हैं !!!!




Monday, 7 December 2020

आनंदित रहने की कला

 आनंदित रहने की कला


एक राजा बहुत दिनों से विचार कर रहा था कि वह राजपाट छोड़कर अध्यात्म (ईश्वर की खोज) में समय लगाए । राजा ने इस बारे में बहुत सोचा और फिर अपने गुरु को अपनी समस्याएँ बताते हुए कहा कि उसे राज्य का कोई योग्य वारिस नहीं मिल पाया है । राजा का बच्चा छोटा है, इसलिए वह राजा बनने के योग्य नहीं है । जब भी उसे कोई पात्र इंसान मिलेगा, जिसमें राज्य सँभालने के सारे गुण हों, तो वह राजपाट छोड़कर शेष जीवन अध्यात्म के लिए समर्पित कर देगा ।


गुरु ने कहा, "राज्य की बागड़ोर मेरे हाथों में क्यों नहीं दे देते ? क्या तुम्हें मुझसे ज्यादा पात्र, ज्यादा सक्षम कोई इंसान मिल सकता है ?"


राजा ने कहा, "मेरे राज्य को आप से अच्छी तरह भला कौन संभल सकता है ? लीजिए, मैं इसी समय राज्य की बागड़ोर आपके हाथों में सौंप देता हूँ ।"


गुरु ने पूछा, "अब तुम क्या करोगे ?"


राजा बोला, "मैं राज्य के खजाने से थोड़े पैसे ले लूँगा, जिससे मेरा बाकी जीवन चल जाए ।"


गुरु ने कहा, "मगर अब खजाना तो मेरा है, मैं तुम्हें एक पैसा भी लेने नहीं दूँगा ।"


राजा बोला, "फिर ठीक है, "मैं कहीं कोई छोटी-मोटी नौकरी कर लूँगा, उससे जो भी मिलेगा गुजारा कर लूँगा ।"


गुरु ने कहा, "अगर तुम्हें काम ही करना है तो मेरे यहाँ एक नौकरी खाली है । क्या तुम मेरे यहाँ नौकरी करना चाहोगे ?"


राजा बोला, "कोई भी नौकरी हो, मैं करने को तैयार हूँ ।"


गुरु ने कहा, "मेरे यहाँ राजा की नौकरी खाली है । मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए यह नौकरी करो और हर महीने राज्य के खजाने से अपनी तनख्वाह लेते रहना ।"


एक वर्ष बाद गुरु ने वापस लौटकर देखा कि राजा बहुत खुश था । अब तो दोनों ही काम हो रहे थे । जिस अध्यात्म के लिए राजपाट छोड़ना चाहता था, वह भी चल रहा था और राज्य सँभालने का काम भी अच्छी तरह चल रहा था । अब उसे कोई चिंता नहीं थी ।


इस कहानी से समझ में आएगा की वास्तव में क्या परिवर्तन हुआ ? कुछ भी तो नहीं! राज्य वही, राजा वही, काम वही; दृष्टिकोण बदल गया ।


इसी तरह हम भी जीवन में अपना दृष्टिकोण बदलें । मालिक बनकर नहीं, बल्कि यह सोचकर सारे कार्य करें की, "मैं ईश्वर कि नौकरी कर रहा हूँ" अब ईश्वर ही जाने । सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दें । फिर ही आप हर समस्या और परिस्थिति में खुशहाल रह पाएँगे।




कर्म और भाग्य

कर्म और भाग्य



एक चाट वाला था। जब भी चाट खाने जाओ ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता। कई बार उसे कहा कि भाई देर हो जाती है जल्दी चाट लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नहीं होती।


एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।

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तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैंने सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते हैं। मैंने एक सवाल उछाल दिया।


मेरा सवाल था कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से?


और उसके जवाब से मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।


कहने लगा,आपका किसी बैंक में लॉकर तो होगा?


उसकी चाभियाँ ही इस सवाल का जवाब है। हर लॉकर की दो चाभियाँ होती हैं।


एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास।


आप के पास जो चाभी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य।


जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नहीं खुल सकता।


आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान।


आप को अपनी चाभी भी लगाते रहना चाहिये।पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे। कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये ।






Saturday, 5 December 2020

सुनो सब कुछ.....

सुनो सब कुछ.....

मगर...


देखो सिर्फ और सिर्फ अपने.....


लक्ष्य को !!!




कोई ओर दिन कभी नही आता

कोई ओर दिन कभी नही आता


एक मित्र नेअपनी बीवी की अलमारी खोली और एक सुनहरे कलर का पेकेट निकाला,।

उसने कहा कि ,ये कोई साधारण पैकेट नहीं है..!"

उसने पैकेट खोला 

और उसमें रखी बेहद खूबसूरत सिल्क की साड़ी और उसके साथ की ज्वेलरी को एकटक देखने लगा।


ये हमने लिया था 8-9 साल पहले, जब हम पहली बार न्युयार्क गए थे परन्तु उसने ये कभी पहनी नहीं क्योंकि वह इसे किसी खास मौके पर पहनना चाहती थी।

और इसलिए इसे बचा कर रखा था।

उसने उस पैकेट को भी दूसरे और कपड़ों के साथ अपनी बीवी की अर्थी के पास रख दिया,उसकी बीवी की मृत्यु अभी अचानक ही हुई थी।

उसने रोते हुए मेरी और देखा और कहा-

किसी भी खास मौके के लिए कभी भी कुछ भी मत बचा के रखना जिंदगी का हर एक दिन खास मौका है,कल का कुछ भरोसा नहीं है।

 

मुझे लगता है,

उसकी उन बातों ने मेरी जिंदगी बदल दी।

मित्रों अब मैं किसी बात की ज्यादा चिंता नहीं करता,

अब मैं अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताता हूँ,

और काम का कम टेंशन लेता हूँ।


मुझे अब समझ में आ चुका है कि जिंदगी जिंदादिली से जीने का नाम है,

डर-डर के,रूक-रूक के बहुत ज्यादा विचार करके चलने में समय आगे निकल जाता है,

और हम पिछड़ जाते हैं।


अब मैं कुछ भी बहुत बहुत संभाल-संभाल के नहीं रखता, हर एक चीज़ का बिंदास और भरपूर उपयोग जी भर के करता हूँ।


अब मैं घर के शोकेस में रखी महँगी क्रॉकरी का हर दिन उपयोग करता हूँ..


अगर मुझे पास के सुपर मार्केट में या नज़दीकी माॅल में मूवी देखने नए कपड़े पहन के जाने का मन है तो मैं जाता हूँ।


अपने कीमती खास परफ्यूम को विशेष मौकों के लिए संभाल कर बचा के नहीं रखता,मैं उन्हें जब मर्जी आए तब उपयोग करता हूँ,

   एक दिन''किसी दिन

' कोई ख़ास मौका' जैसे शब्द अब मेरी डिक्शनरी से गुम होते जा रहे हैं..।

      अगर कुछ देखने,सुनने या करने लायक है,

तो मुझे उसे अभी देखना सुनना या करना होता है।


मुझे नहीं पता मेरे दोस्त की बीवी क्या करती,

अगर उसे पता होता कि वह अगली सुबह नहीं देख पाएगी,


शायद वह अपने नज़दीकी रिश्तेदारों और खास दोस्तों को बुलाती

शायद वह अपने पुराने रूठे हुए दोस्तों से दोस्ती और शांति की बातें करती।


        अगर मुझे पता चले

कि मेरा अंतिम समय आ गया है तो क्या मैं,

इन इतनी छोटी-छोटी चीजों को भी नहीं कर पाने के लिए अफसोस करूँगा।


               नहीं..


इन सब इच्छाओं को तो आज ही आराम से पूरा कर सकता हूँ..!    हर दिन,

        हर घंटा,

    हर मिनट,

हर पल विशेष है,

खास है...बहुत खास है।


प्यारें धर्म प्रेमी यों ..!

जिंदगी का लुत्फ उठाइए,

आज में जिंदगी बसर कीजिये। 

ध्यान,सामायिक,स्वाध्याय में लगो

क्या पता कल हो न हो,

वैसे भी कहते हैं न कल तो कभी आता ही नहीं।


अगर आपको ये मेसेज मिला है,

इसका मतलब है,

कि कोई आपकी परवाह करता है,

केयर करता है,

क्योंकि शायद आप भी किसी की परवाह करते हैं,

ध्यान रखते हैं।

अगर आप

अभी बहुत व्यस्त हैं,

और,

इसे किसी "अपने" को बाद में या,

किसी और दिन भेज देंगे..

तो याद रखिये

कोई ओर दिन बहुत दूर है।





Friday, 4 December 2020

सफलता चाहिए तो सकारात्मक सोचो

 सफलता चाहिए तो🌹सकारात्मक सोचो


🌹एक राजा था। बेहद दयालु, नेक, प्रजा का ध्यान रखने वाला और बहादुर। एक युद्ध में उसके एक पैर में गहरी चोट लग गई और पैर को थोड़ा-सा काटना पड़ गया। एक दूसरे युद्ध में उसकी एक आंख चली गई। इससे राजा काफी बदसूरत दिखने लगा।


🔷राजा ने सोचा कि मेरे पूर्वजों की खूबसूरत तस्वीरें महल में चारों तरफ लगी हैं। मेरी भी लगनी चाहिए, नहीं तो मेरे जाने के बाद मुझे कौन याद रखेगा। राजा ने घोषणा करवाई कि जो भी मेरा अच्छा चित्र बनाएगा, उसे मैं बड़ा पुरस्कार दूंगा। चित्रकारों ने सोचा कि राजा तो बदसूरत है। एक पैर छोटा है और आंख से भी काना है। इतने ख़राब दिखने वाले की अच्छी तस्वीर कैसे बनेगी। अच्छी तस्वीर नहीं बनेगी तो राजा नाराज़ हो जाएगा। लेकिन एक चित्रकार ने चुनौती स्वीकार की और अलग तरह से सोचना शुरू किया।


🌹संभावना भरी सोच : उस चित्रकार ने ‘पॉसिबिलिटी थिंकिंग’ से सोचना शुरू किया। उसने राजा की अच्छाइयों के बारे में सोचा तो उसे लगा कि राजा नेक, दयालु, बहादुर और उदार है। ऐसा राजा भाग्यशालियों को मिलता है। उसने निर्णय लिया कि वह राजा की खूबियां दिखा सकता है। उसे एहसास हुआ कि शरीर में तो बहुत से अंग होते हैं। सिर्फ एक पैर और एक आंख को छोड़कर वह बाकी के अंगों को बेहद खूबसूरत तरीके से दिखा सकता है। बढ़िया वस्त्र और साज-शृंगार दिखा सकता है। यह संभावना भरी सोच है। इससे सोचेंगे तो आपको अपनी ज़िंदगी में चारों तरफ अच्छी चीज़ें नजर आएंगी। उसको राजा में सब कुछ अच्छा नजर आ रहा था।


🔷सोच पर अमल : अब उसने एक्शन करने यानी सोच पर अमल करने का निर्णय लिया, क्योंकि सिर्फ अच्छा सोचने से कुछ नहीं होता। उसने दृढ़ निश्चय किया कि चाहे जो हो जाए, मैं अपना सौ प्रतिशत प्रयास करूंगा। पावर थिंकिंग कहती है कि जो एक्शन ही नहीं करेगा यानी प्रयास ही नहीं करेगा, जोखिम रहित जिंदगी जीने की कवायद में लगा रहेगा, वह कभी कुछ हासिल नहीं कर पाएगा।


🌹अनावरण के दिन सबको लगा कि आज इस चित्रकार को जरूर सजा मिलेगी क्योंकि राजा की सुंदर तस्वीर बनाई ही नहीं जा सकती। लेकिन जैसे ही चित्र का अनावरण हुआ, लोगों के दांतों तले उंगली दबी की दबी रह गई। राजा तालियां बजाता रहा, क्योंकि उसने कभी नहीं सोचा था कि कोई उसे इतना सुंदर दिखा सकता है।


🔷उसने राजा की ऐसी तस्वीर बनाई थी कि उसमें राजा घोड़े पर बैठा है और तीर को कमान पर साध कर रखा है। राजा की कानी आंख बंद है और दोष समझ ही नहीं आ रहा है क्योंकि जब तीर कमान पर साधते हैं, तो एक आंख बंद हो जाती है। इस तरीके से उसने राजा की कानी आंख छुपा दी। राजा का एक ही सही पैर नज़र आ रहा था क्योंकि तस्वीर में वह घोड़े पर बैठा है और साइड पोज है। राजा ने उस चित्रकार को खूब पुरस्कार दिए, अपने यहां मंत्री का दर्जा भी दिया क्योंकि उसने कमियों की जगह खूबियां ढूंढने के लिए मेहनत की थी।


🌹पॉसिबिलिटी थिंकिंग कहती है कि हर जगह कोई ना कोई संभावना पैदा की जा सकती है। यदि समस्या को ही देखेंगे तो समस्या ही दिखेगी और अवसर को देखेंगे तो अवसर। सब कुछ इस बात पर निर्भर है कि आप क्या देखना चाहते हैं। 


पॉसिबिलिटी थिंकिंग में विश्वास करने वाले लोग किसी भी मीटिंग का 90 फीसदी वक़्त समाधान सोचने में लगाते हैं। वे समस्या को महत्व नहीं देते, क्योंकि उन्हें पता है कि हर ताले की कोई ना कोई चाबी जरूर होती है। तो हर दिन जीवन और व्यापार में संभावनाएं ढूंढिए।


🔷चाहे खतरा हो, चाहे इगो का संकट हो, चाहे कोई मना कर दे, चाहे कोई अपमान कर दे लेकिन उसके बाद भी डटे रहने का नाम है पावर थिंकिंग। घर बैठकर सोचने से कुछ नहीं होगा, जब तक एक्शन नहीं होगा। ज्ञान होने से भी कुछ नहीं बदलता, अमल करने से बदलता है।




बोले हुए शब्द वापस नहीं आते

 हमारी day-today life में कई बार ऐसा होता है कि हम या तो बहुत गुस्से में, झुंझलाकर, या बस यूँ ही कुछ ऐसा कह जाते हैं जो हमें नहीं कहना चाहिए.

आज मैं आपके साथ एक छोटी सी Story share कर रहा हू


बोले हुए शब्द वापस नहीं आते


एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया. उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा.


संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर  के बीचो-बीच जाकर रख दो .” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.


तब संत ने कहा , ” अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”


किसान वापस गया पर तब  तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है, तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते.

इस कहानी से क्या सीख मिलती है:

कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कि भला-बुरा कहने के बाद कुछ भी कर के अपने शब्द वापस नहीं लिए जा सकते. 

हाँ, आप उस व्यक्ति से जाकर क्षमा ज़रूर मांग सकते हैं, 

और मांगनी भी चाहिए, पर human nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर लीजिये इंसान कहीं ना कहीं hurt हो ही जाता है.

जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है. खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप रहा जाए.




नफरत और प्रेम

नफरत और प्रेम





एक नफरत है....

जिसको पल भर में महसूस कर लिया जाता है.....



और.....



एक प्रेम है.......



जिसको यकीन दिलाने के लिए सारी जिंदगी भी कम पड़ जाती है!





राधे राधे 




Wednesday, 2 December 2020

अभ्यास का महत्त्व

 💐💐अभ्यास का महत्त्व💐💐


प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढ़ा करते थे। बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था। 



बच्चे गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में आश्रम की देखभाल किया करते थे और अध्ययन भी किया करते थे।

वरदराज को भी सभी की तरह गुरुकुल भेज दिया गया। 




वहां आश्रम में अपने साथियों के साथ घुलने मिलने लगा।

लेकिन वह पढ़ने में बहुत ही कमजोर था। 




गुरुजी की कोई भी बात उसके बहुत कम समझ में आती थी। इस कारण सभी के बीच वह उपहास का कारण बनता है।





उसके सारे साथी अगली कक्षा में चले गए लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पाया।

गुरुजी जी ने भी आखिर हार मानकर उसे बोला, “बेटा वरदराज! मैने सारे प्रयास करके देख लिये है। 




अब यही उचित होगा कि तुम यहां अपना समय बर्बाद मत करो। 




अपने घर चले जाओ और घरवालों की काम में मदद करो।”





वरदराज ने भी सोचा कि शायद विद्या मेरी किस्मत में नहीं हैं। और भारी मन से गुरुकुल से घर के लिए निकल गया गया।





दोपहर का समय था। रास्ते में उसे प्यास लगने लगी। 





इधर उधर देखने पर उसने पाया कि थोड़ी दूर पर ही कुछ महिलाएं कुएं से पानी भर रही थी। वह कुवे के पास गया।





वहां पत्थरों पर रस्सी के आने जाने से निशान बने हुए थे,तो उसने महिलाओ से पूछा, “यह निशान आपने कैसे बनाएं।”

तो एक महिला ने जवाब दिया, “बेटे यह निशान हमने नहीं बनाएं। यह तो पानी खींचते समय इस कोमल रस्सी के बार बार आने जाने से ठोस पत्थर पर भी ऐसे निशान बन गए हैं।”

वरदराज सोच में पड़ गया। 





उसने विचार किया कि जब एक कोमल से रस्सी के बार-बार आने जाने से एक ठोस पत्थर पर गहरे निशान बन सकते हैं तो निरंतर अभ्यास से में विद्या ग्रहण क्यों नहीं कर सकता।




वरदराज ढेर सारे उत्साह के साथ वापस गुरुकुल आया और अथक कड़ी मेहनत की। 



गुरुजी ने भी खुश होकर भरपूर सहयोग किया।

कुछ ही सालों बाद यही मंदबुद्धि बालक वरदराज आगे चलकर संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान बना। जिसने लघुसिद्धान्‍तकौमुदी, मध्‍यसिद्धान्‍तकौमुदी, सारसिद्धान्‍तकौमुदी, गीर्वाणपदमंजरी की रचना की।




शिक्षा(Moral):

दोस्तो अभ्यास की शक्ति का तो कहना ही क्या हैं। यह आपके हर सपने को पूरा करेगी। अभ्यास बहुत जरूरी है चाहे वो खेल मे हो या पढ़ाई में या किसी ओर चीज़ में। बिना अभ्यास के आप सफल नहीं हो सकते हो।

अगर आप बिना अभ्यास के केवल किस्मत के भरोसे बैठे रहोगे, तो आखिर मैं आपको पछतावे के सिवा और कुछ हाथ नहीं लगेगा। इसलिए अभ्यास के साथ धैर्य, परिश्रम और लगन रखकर आप अपनी मंजिल को पाने के लिए जुट जाएँ !




सदैव प्रसन्न रहिये!!
जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!






Monday, 30 November 2020

पिता और बेटी की मजबूरी

     🌹पिता और बेटी की मजबूरी 🌹


निशा काम निपटा कर बेटी ही थी कि फोन की घंटी बजने लगी। मेरठ से विमला चाची का फोन आया था,"बिटिया अपने बाबूजी को आकर ले जाओ यहां से, बीमार रहने लगे हैं, बहुत कमजोर हो गए हैं। हम भी कोई जवान तो हो नहीं रहे हैं, अब उनका करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। वैसे भी आखिरी समय अपने बच्चों के साथ बिताना चाहिए।"

 निशा बोली,"ठीक है चाची जी इस रविवार को आते हैं, बाबूजी को हम दिल्ली ले आएंगे।" फिर इधर उधर की बातें करके फोन काट दिया।

बाबूजी तीन भाई हैं, पुश्तैनी मकान है तीनों वही रहते हैं। निशा और उसका छोटा भाई विवेक दिल्ली में रहते हैं अपने अपने परिवार के साथ। तीन चार साल पहले विवेक को फ्लैट खरीदने के लिए पैसे की आवश्यकता पड़ी तो बाबू जी ने भाइयों से मकान के एक तिहाई हिस्से का पैसा लेकर विवेक को दे दिया था, कुछ खाने पहहने के लिए अपने लायक कुछ पैसा रख दिया। दिल्ली आना नहीं चाहते थे इसलिए एक छोटा सा कमरा रख लिया था जब तक जीवित है तब तक के लिए।

निशा को लगता था कि अम्मा के जाने के बाद बिल्कुल अकेले पड़ गए होंगे बाबूजी लेकिन वहां पुराने परिचितों के बीच उनका मन लगाता था। दोनों चाचिया भी ध्यान रखती थी। दिल्ली में दोनों भाई बहन की गृहस्ती भी मजे से चल रही थी।

रविवार को निशा ओर विवेक का कार्यक्रम बन पाया मेरठ जाने का। निशा के पति अमित एक व्यस्त डॉक्टर है महीने की लाखों की कमाई है उनका इस तरह से छुट्टी लेकर निकलना बहुत मुश्किल है, मरीजों की बीमारी न रविवार देखती है न सोमवार। विवेक की पत्नी रेनू कि अपनी जिंदगी है उच्च वर्गीय परिवारों में उठना बैठना है उसका, इस तरह के छोटे-मोटे पारिवारिक पचड़ों में पडना उसे पसंद नहीं।

 रास्ते भर निशा को लगा विवेक कुछ अनमना , गुमसुम  सा बैठा है। वह बोली,"इतना परेशान मत हो, ऐसी कोई चिंता की बात नहीं है, उम्र हो रही है, थोड़े कमजोर हो गए हैं ठीक हो जाएंगे।"

विवेक जिकंते हुए बोला,"अच्छा खासा चल रहा था, पता नहीं चाचा जी को ऐसी क्या मुसीबत आ गई, दो चार साल और रख लेते तो। अब तो मकानों के दाम आसमान छू रहे हैं, तब कितने कम पैसों में अपने नाम करवा लिया तीसरा हिस्सा।"

निशा शांत करने की मंशा से बोली,"ठीक है ना उस समय जितने भाव थे बाजार में उस हिसाब से दे दिए। और बाबूजी आखरी समय अपने बच्चों के बीच बिताएंगे तो उन्हें अच्छा लगेगा।"

विवेक उत्तेजित हो गया, बोला,"दीदी तेरे लिए यह सब कहना बहुत आसान है, 3 कमरों के फ्लैट में कहां रखूंगा उन्हें। रेनू से किट किट रहेगी सो अलग, उसने तो साफ मना कर दिया है वह बाबूजी का कोई काम नहीं करेगी। वैसे तो दीदी लड़कियां हक मांगने तो बड़ी जल्दी खड़ी हो जाती है, करने के नाम पर क्यों पीछे हट जाती है। आजकल लड़कियों की शिक्षा और शादी के समय अच्छा खासा खर्च हो जाता है । तू क्यों नहीं ले जाती बाबूजी को अपने घर, इतनी बड़ी कोठी है, जीजाजी की लाखो की कमाई है?"निशा को विवेक का इस तरह बोलना ठीक नहीं लगा। पैसे लेते हुए कैसे वादा कर रहा था बाबू जी से," आपको किसी भी वस्तु की आवश्यकता हो तो आप निसंकोच फोन कर देना मैं तुरंत लेकर आ जाऊंगा। बस इस समय हाथ थोड़ा तंग है।"

नाम मात्र पैसे छोड़े थे बाबूजी के पास, और फिर कभी फटका भी नहीं उनकी सुध लेने।


निशा,"तू चिंता मत कर मैं ले जाऊंगी बाबूजी को अपने घर।"सही है उसे क्या परेशानी, इतना बड़ा घर फिर पति रात दिन मरीजों की सेवा करता है, एक पिता तुल्य ससुर को आश्रय दे ही सकते हैं।

बाबूजी को देखकर उसकी आंखें भर आई। इतने दुबले और बेबस दिख रहे थे, गले लगते हुए बोली,"पहले फोन करवा देते पहले लेने आ जाती।"बाबूजी बोले,"तुम्हारी अपनी जिंदगी है क्या परेशान करता। वैसे भी दिल्ली में बिल्कुल तुम लोगों पर आश्रित हो जाऊंगा।"

रात को डॉक्टर साहब बहुत देर से आए, तब तक पिता और बच्चे सो चुके थे। खाना खाने के बाद सकून से बैठते हुए निशा ने डॉक्टर साहब से कहा,"बाबूजी को मैं यहां ले आई हूं, विवेक का घर बहुत छोटा है, उसे उन्हें रखने में थोड़ी परेशानी होती।"अमित के एकदम तेवर बदल गए, वह सख्त लहजे में बोला,"यहां ले आई हूं से क्या मतलब है तुम्हारा? तुम्हारे पिताजी तुम्हारे भाई की जिम्मेदारी है । मैंने बड़ा घर वृद्ध आश्रम खोलने के लिए नहीं लिया था, अपने रहने के लिए लिया है। जायदाद के पैसे हड़पते हुए नहीं सोचा था साले साहब ने की पिता की भी सेवा करनी भी पड़ेगी। रात दिन मेहनत करके पैसा कमाता हूं फालतू लुटाने के लिए नहीं है मेरे पास।"

पति के इस रूप से अनभिज्ञ थी निशा।"रात दिन मरीजों की सेवा करते हो मेरे पिता के लिए क्या आपके घर और दिल में इतना सा स्थान भी नहीं है ।"

अमित के चेहरे की नसे तनी हुई थी, वह लगभग चीखते हुए बोला,"मरीज बीमार पड़ता है पैसा देता है, ठीक होने के लिए, मैं इलाज करता हूं पैसे लेता हूं। यह व्यापारिक समझौता है इसमें सेवा जैसा कुछ नहीं है। यह मेरा काम है मेरी रोजी-रोटी है। बेहतर होगा तुम एक-दो दिन में अपने पिता को विवेक के घर छोड़ आओ।"

निशा को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था, जिस पति की वह इतनी इज्जत करती है वे ऐसा बोल सकते हैं। क्यों उसने अपने भाई और पति पर इतना विश्वास किया? क्यों उसने शुरू से ही एक एक पैसे का हिसाब नहीं रखा? अच्छी खासी नौकरी करती थी पहले पुत्र के  जन्म पर अमित ने यह नौकरी नहीं करने दी और खात में क्या आवश्यकता है तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं रहेगी आराम से बेटे की देखभाल करो।

अगर वह नौकरी करके पैसे बचाते तो अपने पिता की सेवा अपने दम पर कर पाती। करने को तो हर महीने उसके नाम के खाते में पैसे जमा होते हैं लेकिन उन्हें खर्च करने की बिना पूछे उसे इजाजत नहीं थी। भाई से भी मन कर रहा था कह दे शादी में जो खर्च हुआ था वह निकाल कर जो बचता है उसका आधा आधा कर दे कम से कम पिता इज्जत के साथ तो जी पाएंगे। पति और भाई दोनों को पंक्ति में खड़ा करके बहुत से सवाल करने का मन कर रहा था, जानती थी जवाब कुछ ना कुछ अवश्य होंगे। लेकिन इन सवाल जवाब में रिश्तो की परते दर परते उखड़ जाएंगे और जो नग्नता सामने आएगी उसके बाद रिश्ते होने मुश्किल हो जाएंगे।अगले दिन अमित के अस्पताल जाने के बाद निशा बाबूजी के पास पहुँची तो हो गए सामान बांधे बेठे थे ।उदासी भरे स्वर मेन बोलें,”मेरे कारण अपनी गृहस्थी मत ख़राब कर । पता नहीं कितने दिन हे मेरे पास कितने नहीं।मेने एक वृद्धाश्रम मे बात कर ली हे जितने पेसे मेरे पास हे,उसमें वे लोग मुझे रखने को तैयार हैं। ये ले पता तू मुझे वहां छोड आ, और निश्चित होकर अपनी गृहस्ती संभाल।"

निशा समझ गई बाबूजी की देह कमजोर हो गई है दिमाग नहीं। दामाद काम पर जाने से पहले मिलने भी नहीं आया साफ बात है ससुर का आना उसे अच्छा नहीं लगा। क्या सफाई देती चुपचाप टैक्सी बुलाकर उनके दिए पते पर उन्हें छोड़ने चल दी। नजर नहीं मिला पा रही थी, ना कुछ बोलते बन रहा था। बाबूजी ने ही उसका हाथ दबाते हुए कहा,"परेशान मत हो बिटिया, परिस्थितियों पर कब हमारा बस चलता है । मैं यहां अपने हम उम्र लोगों के बीच खुश रहूंगा।"


3 दिन हो गए थे बाबूजी को वृद्ध आश्रम छोड़कर आए हुए। निशा का न किसी से बोलने का मन कर रहा था ना कुछ खाने का। फोन करके पूछने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी वह कैसे हैं? इतनी ग्लानि हो रही थी कि किस मुंह से पूछे । वृद्ध आश्रम से ही फोन आ गया की बाबूजी अब इस दुनिया में नहीं रहे। 10:00 बज रहे थे बच्चे पिकनिक पर गए थे रात्री 8-9 बजे तक आएंगे, अमित जी तो आते ही 10:00 बजे तक है । किसी की भी  दिनचर्या पर कोई असर नहीं पड़ेगा, किसी को सूचना भी क्या देना। विवेक ऑफिस चला गया होगा बेकार छुट्टी लेनी पड़ेगी।

रास्ते भर अविरल अश्रु धारा बहती रही कहना मुश्किल था पिता के जाने के गम में या अपनी बेबसी पर आखिरी समय पर पिता के लिए कुछ नहीं कर पायी। 3 दिन केवल 3 दिन अमित ने उसके पिता को मान और आश्रय दे दिया होता तो वह हृदय से अमित को परमेश्वर मान लेती।


वृद्ध आश्रम के संचालक महोदय के साथ मिलकर उसने औपचारिकताएं पूर्ण की। वह बोल रहे थे,"इनके बहू, बेटा और दामाद भी है रिकॉर्ड के हिसाब से उनको भी सूचना दे देते तो अच्छा रहता।" वह कुछ संभल चुकी थी बोली,"नहीं इनका कोई नहीं है  न बहू ना बेटा नाही दामाद। बस एक बेटी है वह भी नाम के लिए।"

संचालक महोदय अपनी ही धुन में बोल रहे थे,"परिवार वालों को सांत्वना और बाबू जी की आत्मा को शांति मिले।"

निशा सोच रही थी,"बाबूजी की आत्मा को शांति मिल ही गई होगी । जाने से पहले सब मोह भंग हो गया था। समझ गए होंगे और किसी का नहीं होता, फिर क्यों आत्मा अशांत होगी।"

"हां परमात्मा उसको इतनी शक्ति दे कि किसी तरह व बहन और पत्नी का रिश्ता निभा सके ।"



अगर ये कहानी आपको अच्छी लगे तो अपने दोस्तों और रिश्तेदार तक जरूर शेयर करना!

 धन्यवाद





Sunday, 29 November 2020

अच्छाइयों को देखें बुराइयों को नहीं

 


अच्छाइयों को देखें👁️बुराईयों को नहीं



एक बार की बात है दो दोस्त रेगिस्तान से होकर गुजर रहे थे |  सफ़र के दौरान दोनों के बीच में किसी बात को लेकर कहा सुनी हो गयी.और उनमें से एक दोस्त ने दूसरे के गाल पर थप्पड़ मार दिया | जिसने थप्पड़ खाया था उसे बहुत आघात पहुँचा लेकिन वो चुप रहा और उसने बिना कुछ बोले रेत  पर लिखा – आज मेरे सबसे अच्छे मित्र ने मुझे  थप्पड़ मारा |

उसके बाद उन दोनों ने दुबारा चलना शुरू किया | चलते-चलते उन्हें एक नदी मिली दोनों दोस्त उस नदी में स्नान के लिए उतरे | जिस दोस्त  ने थप्पड़ खाया था उसका पैर फिसला और वो पानी में डूबने लगा , उसे तैरना नहीं आता था | दूसरे मित्र ने जब उसकी चीख सुनी तो वो उसे बचाने की कोशिश करने लगा और उसे निकाल कर बाहर ले आया |

अब डूबने वाले दोस्त ने पत्थर के ऊपर लिखा –आज मेरे सबसे अच्छे मित्र ने मेरी जान बचायी | वो दोस्त जिसने थप्पड़ मारा और जान बचायी उसने दूसरे से पुछा – जब मैंने तुम्हे थप्पड़ मारा तब तुमने रेत पर लिखा और जब मैंने तुम्हारी जान बचायी तब तुमने पत्थर पर लिखा , ऐसा क्यूँ ?

दूसरे दोस्त ने जवाब दिया –- रेत पर इसलिए लिखा ताकि वो जल्दी मिट जाये और पत्थर पर इसलिए लिखा ताकि वो कभी ना मिटे |

मित्रों, जब आपको कोई दुःख पहुँचाता है तब उसका प्रभाव आपके दिलोंदिमाग पर रेत पर लिखे शब्दों की तरह होना चाहिए जिसे क्षमा की हवाएं आसानी से मिटा सकें | लेकिन जब कोई आपके हित में कुछ करता है तब उसे पत्थर पर लिखे शब्दों की तरह याद रखें ताकि वो हमेशा अमिट रहे |

इसलिए किसी भी व्यक्ति की अच्छाई पर ध्यान दें न कि उसकी बुराई पर.





Saturday, 28 November 2020

मित्रता की परिभाषा

                                        💐💐मित्रता की परिभाषा💐💐


एक बेटे के अनेक मित्र थे, जिसका उसे बहुत घमंड था। उसके पिता का एक ही मित्र था, लेकिन था सच्चा।


एक दिन पिता ने बेटे को बोला कि तेरे बहुत सारे दोस्त हैं, उनमें से आज रात तेरे सबसे अच्छे दोस्त की परीक्षा लेते हैं।


बेटा सहर्ष तैयार हो गया। रात को 2 बजे दोनों, बेटे के सबसे घनिष्ठ मित्र के घर पहुंचे। बेटे ने दरवाजा खटखटाया, दरवाजा नहीं खुला, बार-बार दरवाजा ठोकने के बाद दोनों ने सुना कि अंदर से बेटे का दोस्त अपनी माताजी को कह रहा था कि माँ कह दे, मैं घर पर नहीं हूँ। यह सुनकर बेटा उदास हो गया, अतः निराश होकर दोनों घर लौट आए।


फिर पिता ने कहा कि बेटे, आज तुझे मेरे दोस्त से मिलवाता हूँ। दोनों रात के 2 बजे पिता के दोस्त के घर पहुंचे। पिता ने अपने मित्र को आवाज लगाई। उधर से जवाब आया कि ठहरना मित्र, दो मिनट में दरवाजा खोलता हूँ।


जब दरवाजा खुला तो पिता के दोस्त के एक हाथ में रुपये की थैली और दूसरे हाथ में तलवार थी। पिता ने पूछा, यह क्या है मित्र।


तब मित्र बोला... अगर मेरे मित्र ने दो बजे रात्रि को मेरा दरवाजा खटखटाया है, तो जरूर वह मुसीबत में होगा और अक्सर मुसीबत दो प्रकार की होती है, या तो रुपये पैसे की या किसी से विवाद हो गया हो। अगर तुम्हें रुपये की आवश्यकता हो तो ये रुपये की थैली ले जाओ और किसी से झगड़ा हो गया हो तो ये तलवार लेकर मैं तुम्हारें साथ चलता हूँ।


तब पिता की आँखे भर आई और उन्होंने अपने मित्र से कहा कि, मित्र मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं, मैं तो बस मेरे बेटे को मित्रता की परिभाषा समझा रहा था। ऐसे मित्र न चुने जो खुदगर्ज हो और आपके काम पड़ने पर बहाने बनाने लगे!


शिक्षा:-

मित्र कम चुनें, लेकिन नेक चुनें.!!



🚩🚩जय श्री राम🚩🚩 

 

सदैव प्रसन्न रहिये!!

जो प्राप्त है-वो पर्याप्त है!!

🙏🙏🙏🙏🙏🌳🌳🙏🙏🙏🙏🙏

Friday, 27 November 2020

ख्वाब

आज एक ख्वाब ने मुझसे पुछा.......





मुझे पूरा करोगे या.......







टूट जाऊं !




वक़्त निकल जाता है

 वक़्त निकल जाता है 


चीजें बदल जाती हैं...
ख़ास लम्हों की बस तारीखें लौट के आती हैं....
लेकिन वो दिन.......
वो दिन वापिस लौटकर नहीं आते....
हम पहले जैसे फिर कभी नहीं हो पाते....
मगर बीते हुए वक़्त के साथ....
कुछ हम भी बीत जाते हैं....
ऊपर से वही दिखते हैं...


मगर अन्दर से काफी बदल जाते हैं!






Wednesday, 25 November 2020

SMALL THOUGHTS

जब किसी में गुण दिखाई दे तो मन को कैमरा बना लीजिये और जब किसी में अवगुण दिखाई दे तो मन को आइना बना लीजिये!

Saturday, 4 July 2020

गुल्लक Piggy Bank


                       गुल्लक [Piggy Bank]                       

दोस्तों आज आपसे बहुत ही जरूरी बात शेयर करना चाहता हूँ! यह जरूरी बात मेरी एक बहुत ही अच्छी आदत से जुडी हुई है ऐसा मेरा मानना है! मेरी पूरी बात सुनने के बाद आप भी मेरी इस अच्छी आदत से इत्तेफ़ाक़ रख पाएंगे! कोरोना के आने के पहले मैंने कई बार सोचा भी था कि आपको मेरी इस आदत के बारे में कुछ जानकारी दूँ लेकिन जब कोरोना जैसी महामारी से हमारा जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है तो मुझे लगता है आपको इस बारे में बताने का यही बिलकुल सही समय है! मेरा जीवन भी कोरोना की वजह से प्रभावित हुआ है लेकिन शायद उतना नहीं जितना हो सकता था

हमें एक बात जरूर ध्यान में रखनी चाहिए कि महामारी हर किसी मनुष्य के जीवन काल में नहीं आती और अगर आती भी है तो संभवतया यह हर किसी मनुष्य के जीवन में अधिकतम एक बार ही आती है! यहां मैं यही कहना चाहता हूँ की आज हमारी पीढ़ी के लोगों के जीवन में अब शायद महामारी दुबारा ना आये! मेरे इन शब्दों को दूसरी तरह से आप ये समझ सकते हैं कि मेरी अच्छी आदत अगर आपको भी अच्छी लगे तो उस आदत को अपनाने का यह बिलकुल सही समय है!

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब मैंने अपनी कमाई की शुरुआत की तब पहले दिन से ही प्रतिदिन मैंने एक आदत को अपने जीवन में उतारा और आज तक लगभग 20 साल बाद भी यह आदत कायम है! मैंने मेरे जीवन में पहले मौके पर इस आदत को अपनाया अब प्रकृति ने यह दूसरा मौका दिया है इस आदत को अपनाने का!
हालांकि इस आदत को अपनाने के लिए जरूरी नहीं है की मैंने जो दो मौकों का जिक्र किया है उन मौकों का इंतज़ार किया जाए हम कभी भी अच्छी आदतों को अपना सकते हैं!

हाँ!!! इतना जरूर है कि सही समय पर किया गया सही काम ज्यादा फल देता है! 


इसका मतलब यही है कि आप आप कभी भी अच्छे काम की शुरुआत कर सकते हैं लेकिन सही समय पर की गयी शुभ शुरुआत का लाभ भी बहुत ही आनंददायी होता है! 

हम अपने जीवन में अलग अलग जगह पर निवेश करते हैं जो कि बहुत अच्छी आदत होती है साथ ही साथ हमें एक और काम करना चाहिए जिसके लिए ज्यादा प्रयत्नों की कोई आवश्यकता नहीं होती!

मैंने आज से करीब बीस साल पहले एक इन्वेस्टमेंट की शुरुआत की थी जो आज के इस लॉकडाउन के समय में मेरे लिये बहुत मददगार साबित हुई है! उस इन्वेस्टमेंट को जारी रखने के लिए भी मुझे कोई मेहनत नहीं करनी पड़ी! वो पारम्परिक इन्वेस्टमेंट था.... 

गुल्लक


जी हाँ गुल्लक.... 

मैंने रोज 20 रुपये अपनी गुल्लक में 20 साल तक डाले और उन्हें छुआ भी नहीं! यहां मुझे ब्याज तो कुछ नहीं मिला लेकिन कोरोना के चलते सरकार ने जो लॉकडाऊन लगाया उसकी वजह से मेरा बिज़नेस जो कि बिलकुल बंद हो गया और आज भी चार महीने बीत जाने के बाद भी बंद पड़ा है! इन चार महीनों में मेरे पास कुछ भी काम नहीं है फिर भी दूसरे इंवेस्टमेंट्स को जारी रखते हुए सारे जरूरी घर खर्चों को मैं कर पाया हूँ! ये एक दूरदर्शी सोच का परिणाम है! ये हमारे बुजुर्गों की महान सोच का परिणाम है! 20 रुपये रोज निकल के अलग रखना कोई मुश्किल काम नहीं है न ही इससे हम पर कोई आर्थिक बोझ पड़ता है लेकिन हमारे भविष्य के लिए अच्छी खासी पूँजी जरूर जमा हो जाती है! 

20 गुणा 1 = 20 
20 गुणा 30 = 600 यानि एक महीने के 600 रुपये 
600 गुणा 12 = 7200 यानि एक साल के 7200 रुपये 
7200 गुणा 20 = 144000 यानि 20 साल के 144000 रुपये 
अब हम इन 144000 रुपयों को 6 से भाग दे देते हैं!
144000 भाग 6 = 24000 यानि एक महीने के 24000 रुपये 

मेरे ख़याल से 24000 रुपये किसी 4 से 6 सदस्यों के मध्यमवर्गीय परिवार के एक महीने के खर्च के लिए काफी हो सकते हैं जबकि हमें ये 24000 रुपये जमा करने में विशेष मेहनत नहीं करनी पड़ी थी! अगर हालात गंभीर हो या आने वाले कुछ महीनों तब हमारे व्यवसाय की गाडी पटरी पर आने की कोई गुंजाइश न दिख रही हो तो हमारा ये खर्च 24000 रुपयों के बजाय हम 15 से 20 हजार रुपये प्रति महीने में भी गुजारा कर सकते हैं! इस तरह से हम 144000 को 6 महीनों के बजाय 8 या 9 महीनों तक भी चला सकते हैं! 

ये बचत की ताकत है! 


लम्बे समय तक छोटी छोटी बचत को बनाये रखना हमें कई बार बड़ी बड़ी मुश्किलों से बचा सकता है! 
आप चाहें तो 20 के बजाय 10 रुपये प्रतिदिन भी बचा सकते हैं या फिर अपनी क्षमता के अनुसार 20 या फिर 30 रुपये भी रजाना बचा सकते हैं! जितना ज्यादा आप रोज बचाएंगे उतना अधिक आपको लम्बे समय में फ़ायदा होगा! इसलिए अपने दूसरे निवेश के साथ गुल्लक की आदत भी जरूर डालें!!!

लाइफ में इन्वेस्टमेंट का महत्वपूर्ण स्थान Important place for investment in life.
लाइफ में इन्वेस्टमेंट का महत्वपूर्ण स्थान (भाग 1) Important place of investment in life (Part 1)
लाइफ में इन्वेस्टमेंट का महत्वपूर्ण स्थान भाग 2 Important place of investment in life Part 2






ENGLISH LANGUAGE:-



Gullak [Piggy Bank]
Friends, today I want to share a very important thing with you! This important thing is related to my very good habit, I believe that! After listening to me, you will also be able to agree with this good habit of mine! Before the arrival of Corona, I had thought many times to give you some information about this habit, but when an epidemic like Corona has affected our life badly, I think this is the right time to tell you about it. is! My life has also been affected by Corona but maybe not as much as it could have been!
We must keep one thing in mind that an epidemic does not come in every human's life time and even if it does, then it probably comes at least once in every human's life! Here I want to say that today the epidemic may not come again in the lives of the people of our generation! You can understand my words in the other way that if you like my good habit, then this is the right time to adopt that habit!
After completing my studies, when I started earning, then from the very first day, I started a habit every day in my life and till today after 20 years, this habit is maintained! I adopted this habit for the first time in my life, now nature has given this second chance to adopt this habit!

Although it is not necessary to adopt this habit, wait for those two occasions which I have mentioned, we can adopt good habits anytime!



Yes!!! It is so important that the right thing done at the right time gives more fruit!


This means that you can start a good work at any time, but the benefit of an auspicious start at the right time is also very enjoyable!



We invest in different places in our life, which is a very good habit, as well as we should do another work which does not require much efforts!



I started an investment about twenty years ago, which has proved very helpful for me in today's lockdown time! I did not have to work hard to continue that investment! It was a traditional investment….



Piggy Bank


Yes piggy bank ....



I put 20 rupees in my piggy bank every day for 20 years and did not even touch them! Here, I did not get any interest but due to the lockdown of the government due to Corona, my business which was completely closed and even after four months has remained closed even today! I have no work in these four months, yet by continuing other investments, I have been able to make all the necessary house expenses! This is the result of a visionary thinking! This is the result of the great thinking of our elders! Setting aside 20 rupees a day is not a difficult task nor does it put any financial burden on us, but a lot of capital is definitely accumulated for our future!



20 times 1 = 20

20 x 30 = 600 ie 600 rupees a month

600 x 12 = 7200 i.e. 7200 rupees a year

7200 times 20 = 144000 i.e. Rs 144000 for 20 years

Now we divide these 144000 rupees by 6!

144000 Part 6 = 24000 i.e. 24000 rupees a month



I think 24000 rupees can be enough to spend a month for a middle class family of 4 to 6 members, whereas we did not have to work hard to collect this 24000 rupees! If the situation is serious or there is no scope of our business getting back on track for a few months, then instead of 24000 rupees, we can spend 15 to 20 thousand rupees per month! This way we can run 144000 for 8 or 9 months instead of 6 months!



This is the power of saving!


Keeping small savings for a long time can save us from many great difficulties at times!


If you want, you can save 10 rupees per day instead of 20 or you can save 20 or even 30 rupees according to your capacity! The more you save everyday, the more you will benefit in the long run! So along with your second investment, definitely make a habit of piggy bank !!!


लाइफ में इन्वेस्टमेंट का महत्वपूर्ण स्थान Important place for investment in life.
लाइफ में इन्वेस्टमेंट का महत्वपूर्ण स्थान (भाग 1) Important place of investment in life (Part 1)
लाइफ में इन्वेस्टमेंट का महत्वपूर्ण स्थान भाग 2 Important place of investment in life Part 2



Monday, 22 June 2020

मेरे ख्याल से

मेरे ख्याल से 


आज तक बहुत भरोसे टूटे मगर फिर भी आज तक भरोसे की आदत नहीं छूटी।


एक चेहरे की अहमियत हर किसी की नजर में जुदा क्यों है कोई किसी से खफा तो कोई फिदा क्यों है।


जिन्दगी को अगर जीना है तो जिन्दगी का हाथ थामना बहुत जरूरी है।


मंजिल मिले या ना मिले ये मुकद्दर की बात है पर हम कोशिश ही ना करें ये तो गलत बात है।।



बेफिक्र से रहते थे हम बालों की सफेदी देखकर नींदें उड़ा दी उन्होंने अच्छे लगते हो ये कहकर।


मुश्किल कोई आ जाये तो घबराने से क्या होगा जीने की तरकीब निकालो मर जाने से क्या होगा।


हमेशा अपनों का हाथ पकड़कर चलो दूसरों के पांव पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी।





अंत में बच्चों के लिए एक छोटी सी कविता :-



पॉप पॉप पॉप पॉपकॉर्न,

गमले में लगा।

पॉप पॉप पॉप पॉपकॉर्न,

गर्म होने पर इसे खाएं।

पॉप पॉप पॉप पॉपकॉर्न,

शीर्ष पर मक्खन।

जब मैं पॉपकॉर्न खाता हूं,

मैं रोक नहीं सकता।

https://jpsoni101.blogspot.com/2020/06/11-june-2020.html






ENGLISH LANGUAGE:-


I think



Till today, a lot of trust has been broken, but till date the habit of trust has not been lost.





Why is the importance of a face different in everyone's eyes, why is someone angry with someone and why is someone different?





If life is to be lived, it is very important to hold life.





It is a matter of fate whether we get the floor or not, but it is a wrong thing to not try.







I used to stay carefree, we blew sleep after seeing the hair whitening.





If someone comes to trouble, what will happen if you get scared, what will happen if you die?





Always hold the hands of your loved ones, there will be no need to hold the feet of others.











Finally a short poem for children: -


Pop pop pop pop popcorn,
Popping in the pot.
Pop pop pop pop popcorn,
Eat it while it's hot.
Pop pop pop pop popcorn,
Butter on the top.
When I eat popcorn,

I CAN'T STOP.


लाइफ में इन्वेस्टमेंट का महत्वपूर्ण स्थान भाग 2 Important place of investment in life Part 2

                                         निवेश क्या है 


दोस्तों मैं एक बार फिर हाजिर हूँ निवेश के सन्दर्भ में मेरी जितनी जानकारी है वह आपके साथ साझा करने के लिए !

पिछली बार मैंने पीपीफ [पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड ] के बारे में आपको हल्की फुल्की जानकारी दी थी तो आज आगे की कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियां बताना चाहूंगा !


पीपीएफ निवेश के साथ साथ टैक्स बचाने के सबसे लोकप्रिय विकल्पों में से एक है ! इसमें निवेश करने पर आपको न सिर्फ इन्कमटैक्स क़ानून  के सेक्शन 80 सी के तहत छूट मिलती है बल्कि इस पर मिलने वाला ब्याज भी टैक्स फ्री होता है और साथ ही साथ मेच्योरिटी के समय पर मिलने वाली पूरी की पूरी रकम भी टैक्स फ्री होती है! पीपीएफ पर ब्याज की घोषणा हर तिमाही होती है जो कि सरकार के द्वारा की जाती है !

इस योजना को सरकार खुद चलाती है और ब्याज भी सरकार के द्वारा ही दिया जाता है !



जब भी सेफ इन्वेस्टमेंट की बात होती है तो सभी फाइनेंसियल सलाहकार पीपीएफ में निवेश करने की सलाह देते हैं ! टैक्स कंसलटेंट भी पीपीएफ को बहुत अच्छा और सेफ विकल्प बताते हैं ! 

यहां आपको ब्याज दर के साथ साथ इस स्कीम के लॉक इन पीरियड के बारे में भी जरूर जानना चाहिए !

जहां तक मेरी जानकारी है पीपीएफ की स्थापना 1968 में भारत सरकार के द्वारा की गयी थी जिसका उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के जिन कर्मचारियों के लिए ईपीएफ, पेंशन आदि की सुविधा नहीं है उन्हें भी अपने भविष्य के लिए पैसे बचाने का मौका मिले ! सरकार ने पीपीएफ को हर तरह के टैक्स से मुक्त रखा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस योजना का लाभ उठा सकें !


पीपीएफ स्कीम पोस्ट ऑफिस और बैंकों के माध्यम से चलती हैं! SBI


पीपीएफ से जुड़ी सबसे अच्छी बात ये है कि देश का कोई भी नागरिक इसमें अपना खाता खुलवा सकता है इसमें कोई उम्र की सीमा भी नहीं है और अपने बच्चों के लिए भी इसमें खाता खुलवाया जा सकता है !
यहाँ एक बात ध्यान रखना जरूरी है कि आप अपने नाम से सिर्फ एक पीपीएफ अकाउंट खुलवा सकते हैं अगर एक अकाउंट के पहले से होने के बावजूद भी अगर आप दूसरा पीपीएफ अकाउंट खुलवाते हैं तो पहला अकाउंट तुरंत डीएक्टिवेट हो जाएगा और उस अकाउंट में जमा राशि पर आपको ब्याज भी नहीं मिलेगा !


NRI पीपीएफ अकाउंट नहीं खोल सकते !!!



पीपीएफ अकाउंट में आप हर साल कम से कम 500 रुपये और ज्यादा से ज्यादा 1,50,000 रुपये जमा करवा सकते हैं ! यहां एक साल का मतलब एक वित्त वर्ष से है यानी मौजूदा वर्ष के अप्रैल महीने की 1 तारीख से अगले वर्ष के मार्च महीने की 31 तारीख तक !
अगर किसी वित्त वर्ष में आप न्यूनतम राशि जमा नहीं करवा सकते हैं तो आपका पीपीएफ अकाउंट इनएक्टिव हो जायेगा अपने खाते को दुबारा एक्टिव करवाने के लिए आपको पेनल्टी के रूप में 50 रूपये प्रतिवर्ष के हिसाब से जमा करवाने होंगे और साथ में न्यूनतम सालाना राशि जमा करवानी होगी जिससे आपका खाता दुबारा एक्टिव हो जायेगा! यहां एक बात जरूर ध्यान रखने की है कि अगर आपका खाता इनएक्टिव हो गया है तो भी आपकी जमा राशि पर आपको ब्याज मिलता रहेगा!


पीपीएफ अकाउंट में पैसा कितनी बार जमा करवा सकते हैं?


कुछ सालों पहले तक यह नियम था कि एक वित्तवर्ष में 12 बार से ज्यादा आप पैसे जमा नहीं करवा सकते लेकिन 2019 में यह नियम बदला और 12 बार की लिमिट को ख़तम कर दिया गया अब आप चाहे जितनी बार अपने पीपीएफ अकाउंट में रुपया जमा करवा सकते हैं! 

लॉक इन अवधि 


वैसे तो इसमें 15 साल की लॉक इन अवधि होती है लेकिन अगर आपको बीच में पैसे की जरूरत ही तो आप पीपीएफ अकाउंट से लोन ले सकते हैं और अकाउंट खोलने के सात सालों के बाद आंशिक निकासी की सुविधा भी मिल जाती है! 15 साल की समय सीमा के बाद हर 5 सालों के लिए इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है! आगे की जमा होने वाली राशि पर आपको ब्याज मिलता रहेगा और एक ख़ास बात आप पिछले 15 सालो की जमा रकम को आप निकाल भी सकते हैं! पीपीएफ पर ब्याज की गणना मासिक आधार पर होती है अगर आप किसी महीने की 5 तारीख तक पैसा जमा करवा देते हैं तो उस पर ब्याज उसी महीने मिल जाएगा लेकिन अगर आप किसी महीने 5 तारीख के बाद पैसा जमा करवाते हैं तो उन पैसों पे ब्याज अगले महीने से मिलना शुरू होगा!

पीपीएफ में जमा रकम, ब्याज की रकम और मेच्योरिटी की रकम तीनों टैक्स फ्री होती है!


समय के साथ साथ ब्याज दरों में कमी जरूर आयी है लेकिन विभिन्न तरह की सेविंग स्कीम, एफडी और भी अन्य निवेश उपकरणों की तुलना में पीपीएफ में ब्याज अच्छा मिलता है! 

पीपीएफ अकाउंट सभी सरकारी बैंकों, चुनिंदा प्राइवेट बैंकों और पोस्ट ऑफिस में खुलवाया जा सकता है! 


इमरजेंसी हालातों में आप पीपीएफ अकाउंट को समय से पहले बंद करवा सकते हैं! 

अकाउंट होल्डर की मृत्यु होने पर नॉमिनी भी इस अकाउंट को बंद करवा सकता है ऐसी परिस्थिति में उसे पूरा पैसा बिना किसी पेनल्टी और ब्याज की कटौती के मिल जायेगा!

अकाउंट होल्डर की गंभीर बीमारी में भी इसमें से पैसा निकाल सकते हैं लेकिन इसमें स्वास्थय विभाग के सक्षम अधिकारी के द्वारा प्रमाणित डाक्यूमेंट्स जमा करवाने पड़ते हैं!

अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए अगर आप अपने अकाउंट को समय से पहले बंद करना चाहते हैं तो आपकी सम्पूर्ण जमा राशि पर 1 प्रतिशत ब्याज कम दिया जायेगा और  ये सुविधा भी आप अपने खाते के कम से कम पांच साल की अवधि के बाद ले सकते हैं! 


इस तरह पीपीएफ टैक्स की बचत के साथ अच्छी ब्याज दर के साथ भारत सरकार की सबसे सुरक्षित योजनाओं में से एक है! 

यहाँ मैंने इस योजना के बारे में काफी कुछ बता दिया है फिर भी आपको कुछ और भी जानना रह गया हो तो मुझे कमेंट करके पूछ सकते हैं मैं आपकी सभी जानकारियों को दुरुस्त करने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा!

धन्यवाद !!!

What is investment



Friends, I am once again in the spot to share with you all my information regarding investment!



Last time I gave you a light idea about PPF [Public Provident Fund], then today I would like to tell some more important information further!





PPF is one of the most popular tax saving options along with investment! By investing in this, you not only get exemption under section 80C of income tax law, but the interest on it is also tax free and at the same time the entire amount received at the time of maturity is also tax free! Interest on PPF is announced every quarter, which is announced by the government!



This scheme is run by the government itself and interest is paid by the government itself.



Important place of investment in life (Part 1) Important place of investment in life (Part 1)





Whenever it comes to safe investment, all financial advisors recommend investing in PPF! Tax consultants also call PPF a very good and safe option!



Here you must also know about the lock in period of this scheme along with interest rate!



As far as I know, PPF was established in 1968 by the Government of India, whose purpose is that the employees of the unorganized sector who do not have the facility of EPF, pension etc. should also get a chance to save money for their future! The government kept PPF free from all forms of tax so that more and more people can take advantage of this scheme!


PPF schemes run through post offices and banks! SBI



The best thing related to PPF is that any citizen of the country can open their account in it, there is no age limit in it and it can be opened in their children too!

Here it is important to keep in mind that you can open only one PPF account in your name. If you open a second PPF account even though one account is already there, the first account will be deactivated immediately and on the amount deposited in that account You won't even get interest!





NRI cannot open PPF account !!!





You can deposit at least 500 rupees every year and maximum Rs 1,50,000 in PPF account! Here one year means one financial year i.e. from the 1st of April in the current year to the 31st of March of the following year!

If you cannot deposit the minimum amount in a financial year, then your PPF account will be activated. To get your account active again, you will have to deposit Rs. 50 per year as penalty and also to deposit the minimum amount annually. Which will make your account active again! One thing to be sure here is that even if your account becomes inactive, you will continue to get interest on your deposit!


How many times can I deposit money in PPF account?



Till a few years ago, it was a rule that you cannot deposit money more than 12 times in a financial year, but in 2019 this rule was changed and the limit of 12 times was removed, now you can deposit money in your PPF account as many times as you want. Huh!



Lock in period



Although there is a lock in period of 15 years, but if you need money in between, then you can take a loan from a PPF account and also get the facility of partial withdrawal after seven years of opening the account! After a time limit of 15 years, it can be extended even further for every 5 years! You will continue to get interest on the amount deposited ahead and one particular thing is that you can withdraw the deposit amount of the last 15 years! Interest on PPF is calculated on a monthly basis, if you deposit the money by the 5th of a month, then the interest will be paid on the same month, but if you deposit the money after the 5th of any month, then the interest on those money will be next. Month will begin to meet!



The amount deposited in PPF, interest amount and maturity amount are all three tax free!



Over time, interest rates have come down but interest in PPF is good compared to various savings schemes, FDs and other investment instruments!



PPF account can be opened in all government banks, select private banks and post offices!





In emergency situations you can get PPF account closed prematurely!



On the death of the account holder, the nominee can also close this account, in such a situation he will get all the money without any penalty and interest deduction!



In the serious illness of an account holder, you can withdraw money from it, but it has to be submitted certified documents by the competent officer of the Health Department.



For higher education of your children, if you want to close your account prematurely, then 1 percent interest will be given on your entire deposit and you can also avail this facility after a period of at least five years of your account. Huh!





In this way PPF is one of the safest schemes of the Government of India along with saving tax and good interest rate!



Here I have told a lot about this plan, yet if you are left knowing anything else, then you can comment by asking me, I will try my best to correct all your information!



Thank you !!!






Wednesday, 17 June 2020

REDMI NOTE 9 PRO MAX 17 JUNE 2020

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शाओमी रेडमी नोट 9 प्रो मैक्स स्पेसिफिकेशंस

खास स्पेसिफिकेशन
रैम6 जीबी
प्रोसेसरक्वालकॉम स्नैपड्रैगन 720जी
मेन कैमरा64 एमपी + 8 एमपी + 5 एमपी + 2 एमपी
फ्रंट कैमरा32 एमपी
बैटरी5020 एमएएच
डिसप्ले6.67 इंच

जनरल
लॉन्च डेटमई 11, 2020 (आधिकारिक)
ब्रांडशाओमी
मॉडलरेडमी नोट 9 प्रो मैक्स
आॅपरेटिंग सिस्टमएंडरॉयड वी10 (Q)
कस्टम यूआईइमोशन यूआई
सिम स्लॉटडुअल सिम, जीएसएम + जीएसएम
सिम साइज़सिम1: नैनो
सिम2: नैनो
नेटवर्क4जी: हां (भारतीय बैंड का सपोर्ट करता है),
3जी: हां, 2जी: हां
फिंगरप्रिंट सेंसर
क्विक चार्जिंग

डिज़ाइन
ऊंचाई165.5 मिमी
चौड़ाई76.6 मिमी
मोटाई8.8 मिमी
वजन209 ग्राम
वॉटरप्रूफस्पलैश प्रूफ

डिसप्ले
स्क्रीन साइज़6.67 इंच (16.94 सेमी)
स्क्रीन रेजल्यूशन1080 x 2400 पिक्सल
आस्पेक्ट रेशियो20:9
पिक्सल डेनसिटी395 पीपीआई
डिसप्ले टाइपआईपीएस एलसीडी
स्क्रीन प्रोटेक्शनकोर्निंग गोरिल्ला ग्लास वी5
टच स्क्रीनकैपेसिटिव टचस्क्रीन, मल्टी-टच
स्क्रीन टू बॉडी रेशियो (कैलकुलेटेड)84.73 %

परफॉर्मेंस
चिपसेटक्वालकॉम स्नैपड्रैगन 720जी
प्रोसेसरआठ कोर(2.3 गीगाहर्ट्ज, डुअल कोर, क्रयो 465 + 1.8 गीगाहर्ट्ज, हेक्सा कोर, क्रयो 465)
आर्किटेक्चर64 बिट
रैम6 जीबी

स्टोरेज
इंटरनल मैमोरी64 जीबी

कैमरा
मेन कैमरा
कैमरा सेटअपक्वाड
रेजल्यूशन64 एमपी f/1.89 (upto 10x डिजिटल ज़ूम) प्राइमरी कैमरा(1.7" sensor size, 1.6µm पिक्सेल आकार)8 एमपी f/2.2, वाइड एंगल, अल्ट्रा-वाइड एंगल कैमरा(1.12µm पिक्सेल आकार)5 एमपी कैमरा(1.12µm पिक्सेल आकार)2 एमपी, डेप्थ्स कैमरा(1.75µm पिक्सेल आकार)
आॅटोफोकसफेस डिटेक्शन आॅटोफोकस
फीजिकल अपर्चरएफ1.89
फ्लैशएलईडी फ्लैश
इमेज रेजल्यूशन9000 x 7000 पिक्सल
सेटिंगएक्सपोजर कंपेनसेशन, आईएसओ कंट्रोल
शूटिंग मोड्सकंटिन्यूअस शूटिंग, हाई डायनेमिक रेंज मोड (एचडीआर)
केैमरा फीचर्सडिजिटल ज़ूम, ऑटो फ्लैश, इमेज डिटेक्शन, टच टू फोकस
वीडियो रिकॉर्डिंग3840x2160 @ 30 एफपीएस, 1920x1080 @ 60 एफपीएस, 1280x720 @ 960 एफपीएस
फ्रंट कैमरा
कैमरा सेटअपसिंगल
रेजल्यूशन32 एमपी प्राइमरी कैमरा(1.6µm पिक्सेल आकार)
वीडियो रिकॉर्डिंग1920x1080 @ 30 एफपीएस, 1280x720 @ 30 एफपीएस

बैटरी
क्षमता5020 एमएएच
टाइपली-पॉलिमर
यूजर रिप्लेसेबलनहीं
स्टैंडबाई टाइमतक 492 घंटे(2जी)
क्विक चार्जिंगफास्ट, 33W: 50 % in 30 मिनट

नेटवर्क और कनेक्टिविटी
सिम साइज़सिम1: नैनो, सिम2: नैनो
नेटवर्क सपोर्ट4जी (भारतीय बैंड का सपोर्ट करता है), 3जी, 2जी
वोल्ट
सिम 1
4G Bands:
TD-LTE 2300(band 40) / 2500(band 41)
FD-LTE 2100(band 1) / 1800(band 3) / 900(band 8) / 850(band 5)
3G Bands:
UMTS 1900 / 2100 / 850 / 900 MHz
2G Bands:
GSM 1800 / 1900 / 850 / 900 MHz
GPRS:
Available
EDGE:
Available
सिम 2
4G Bands:
TD-LTE 2300(band 40) / 2500(band 41)
FD-LTE 2100(band 1) / 1800(band 3) / 900(band 8) / 850(band 5)
3G Bands:
UMTS 1900 / 2100 / 850 / 900 MHz
2G Bands:
GSM 1800 / 1900 / 850 / 900 MHz
GPRS:
Available
EDGE:
Available
वाई-फाईवाई-फाई 802.11, a/ac/b/g/n, MIMO
वाई-फाई फीचर्सवाई-फाई डायरेक्ट, मोबाइल हॉटस्पॉट
वाई-फाई कॉलिंग
ब्लूटूथवी5.0
जीपीएससाथ ए—जीपीएस, ग्लोनास
यूएसबी कनेक्टिविटीमॉस स्टोरेज उपकरण, यूएसबी चार्जिंग

मल्टीमीडिया
लाउडस्पीकर
ऑडियो जैक3.5 मिमी

खास फीचर्स
फिंगरप्रिंट सेंसर
फिंगरप्रिंट सेंसर पोजीशनपक्ष
अन्य सेंसरप्रकाश सेंसर, प्रोक्सिमिटी सेंसर, एक्सेलेरोमीटर, कॉम्पास, जायरोस्कोप
*नोट: दिखाया गया मूल्य वास्तविक कीमत से अलग हो सकता है। खरीदारी से पहले रिटेलर साइट पर पुष्टि करें ।